AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की कोलकाता में आज होनी थी रैली, पुलिस से इजाजत न मिलने पर रद्द
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में गुरुवार को एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी की रैली होनी थी. कोलकाता के अल्पसंख्यक प्रभाव वाले मटिया ब्रिज इलाके को चुना है. ओवैसी की रैली को पुलिस ने इजाजत नहीं थी.
कोलकाता:
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की गुरुवार को कोलकाता में रैली होनी थी. पुलिस ने रैली को इजाजत नहीं थी. ऐन वक्त पर ओवैसी की रैली को रद्द करना पड़ा. ओवैसी को लेकर बंगाल की सत्ताधारी टीएमसी (TMC) की तरफ से आरोप भी लगने शुरू हो गए. टीएमसी नेताओं ने यह भी कहा कि ओवैसी राज्य में बीजेपी की बी-टीम बनकर आ रहे हैं. इस पर ओवैसी की तरफ से भी पलटवार हुए. प्रचार अभियान की शुरुआत के लिए उन्होंने कोलकाता के अल्पसंख्यक प्रभाव वाले मटिया ब्रिज इलाके को चुना है. हालांकि उनकी यात्रा के पहले एक बेहद ध्रुवीकरण वाले चुनाव में एमआईएम के कार्यकर्ता अपनी पार्टी के लिए जगह तलाश कर रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः राहुल गांधी के उत्तर बनाम दक्षिण के बयान पर बंटे कांग्रेस नेता
100 सीटों पर निर्णायक भूमिका में अल्पसंख्यक वोटर
पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से करीब 100 सीटें अल्पसंख्यक वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. बंगाल की करीब 30 फीसद आबादी इस समुदाय से है. ऐसे में ममता बनर्जी को अगर तीसरी बार भी सत्ता में आना है तो उन्हें इस समुदाय के वोटों की जरूरत होगी. दूसरी तरफ बिहार चुनाव में 5 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद असदुद्दीन ओवैसी पश्चिम बंगाल में पार्टी को मजबूती देने की कोशिश में हैं. ओवैसी कह चुके हैं कि उनकी पार्टी फुरफुरा शरीफ पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के निर्णयों के हिसाब से चलेगी. अब्बाद सिद्दीकी का अच्छा-खासा प्रभाव दक्षिणी 24 परगना में है. दिलचस्प है कि अब्बास सिद्दीकी ममता के बड़े समर्थक रहे हैं लेकिन राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद से वो लगातार टीएमसी को निशाने पर ले रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः बेकार पड़ी 100 संपत्तियां बेचेगी मोदी सरकार, अगस्त तक हो सकता है सौदा
अब्बास सिद्दीकी ने मिलाया कांग्रेस से हाथ
पिछले ही सप्ताह बंगाल में एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ. अब्बास सिद्दीकी ने सीपीएम और कांग्रेस से हाथ मिला लिया. अभी तक अब्बास सिद्दीकी की ओवैसी के साथ जाने की चर्चा थी. ओवैसी और सिद्दीकी के बीच मुलाकात भी हुई थी. अब ओवैसी बंगाल में अकेले पड़ जाएंगे. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बंगाल में ओवैसी का प्रभाव उर्दूभाषी अपर कास्ट मुस्लिम तक सीमित है. ओवैसी के सामने सबसे बड़ी समस्या भाषा को लेकर हैं. अगर ओवैसी को पूरे बंगाल में लोगों तक पहुंचना है तो बंगाली भाषा से ही संभव होगा.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें प्रभु यीशु के बलिदान की कहानी
-
Sheetala Ashtami 2024: कब है 2024 में शीतला अष्टमी? जानें पूजा कि विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
-
Chaitra Navaratri 2024: भारत ही नहीं, दुनिया के इन देशों में भी है माता के शक्तिपीठ
-
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार देश का शासक कैसा होना चाहिए, जानें