IAS अफसर डॉ. रामविलास यादव के ठिकानों पर विजिलेंस का छापा, इन गंभीर आरोप में हैं घिरे
उत्तराखंड शासन के आईएएस अधिकारी डॉ. रामविलास यादव के सात ठिकानों में इस वक्त उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की विजलेंस टीम छापेमारी की कार्रवाई कर रही है. उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस है. बाताया जाता है कि उनके लखनऊ,
highlights
- भ्रष्टाचार के आरोपों में आईएएस अधिकारी डॉ. रामविलास यादव पर शिकंजा
- उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 7 ठिकानों पर विजिलेंस की टीम कर रही है जांच
- सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर विजिलेंस की टीम खंगाल रही है दस्तावेज
देहरादून:
उत्तराखंड शासन के आईएएस अधिकारी डॉ. रामविलास यादव के सात ठिकानों में इस वक्त उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की विजलेंस टीम छापेमारी की कार्रवाई कर रही है. उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस है. बाताया जाता है कि उनके लखनऊ, गुड़म्बा, कुर्सी रोड स्थित जनता विद्यालय में विजलेंस उत्तराखंड ने छापे मारी की है. ये छापेमारी की कार्रवाई अब भी चल रही है. इसके अलावा प्रदेश के गाजीपुर जिला, गाजियाबाद में भी उनके ठिकानों पर विजिलेंस की टीम छापेमारी की कार्रवाई कर रही है.गौरतलब है कि डॉ. रामविलास यादव उत्तर प्रदेश में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव और मंडी विकास परिषद में एडिशनल डायरेक्टर के पद पर रह चुके हैं. मंडी विकास परिषद में उनके ऊपर भर्ती घोटाले के भी आरोप लगे थे.
एक सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत कुमार मिश्रा की शिकायत पर इस मामले में जांच बैठाई गई थी, जिसके बाद आरोप सही साबित होने पर विजिलेंस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इसी सिलसिले में राजधानी देहरादून में इनके टिहरी हाउस स्थित सरकारी आवास पर सुबह 8:00 बजे से ही लगातार छापेमारी की जा रही है, हालांकि इस मामले में विजिलेंस के अधिकारियों ने फिलहाल कुछ भी बोलने से मना कर दिया है.
सपा की सरकार के काफी करीबी थे
उत्तर प्रदेश में तैनात रह चुके उत्तराखंड कैडर के आईएएस अफसर राम विलास यादव पूर्व की सपा सरकार के काफी करीबी माने जाते थे. रामविलास पूर्व में लखनऊ विकास प्राधिकरण और एडिशनल डायरेक्टर मंडी परिषद रह चुके हैं. उन्होंने लखनऊ में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था.
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उत्तर प्रदेश सरकार ने भी की थी शिकायत
प्रदेश में जब सरकार बदली तो राम विलास ने अपनी तैनाती उत्तराखंड में करा ली, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को उनकी अनियमितताओं के बारे में जानकारी मिल गई, जिसके बाद उत्तर प्रदेश शासन ने ही उत्तराखंड में आईएएस अधिकारी के खिलाफ जांच कराने के लिए कहा. इस संबंध में उन्होंने पर्याप्त दस्तावेज भी उत्तराखंड सरकार को भेजे. जांच पूरी होने पर अनियमितताएं और आय से अधिक संपत्ति का मामला सही पाया गया. जिस पर विजिलेंस ने जांच शुरू की तो यादव ने सहयोग नहीं किया. उन्होंने शासन से भी कहा कि विजिलेंस उनका पक्ष नहीं सुन रही है.
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