Uttarkashi Tunnel Collapse: 40 श्रमिकों को बाहर निकालने की जद्दोजहद जारी? जानें रेस्क्यू मिशन कितना कठिन 

Uttarkashi Tunnel Collapse: 12 नवंबर को सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक भाग रविवार को भूस्खलन से ढह गया था. तब से यहां पर 40 श्रमिक फंसे हुए हैं.

News Nation Bureau | Edited By : Mohit Saxena | Updated on: 15 Nov 2023, 09:51:52 AM
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Uttarkashi Tunnel Collapse (Photo Credit: social media)

highlights

  • यह हादसा 12 नवंबर को सुबह करीब 5.30 बजे उस वक्त हुआ
  • ‘एस्केप सुरंग’ बनाने के लिए खुदाई आरंभ हो चुकी है
  • बाहर निकालने में 24 घंटे से ज्यादा का समय लग सकता है

नई दिल्ली:  

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड में चार धाम राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग (Uttarkashi Tunnel Accident) धंसने के कारण 40 मजदूर बीते तीन दिनों सें जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. वे मलबे में 12 नवंबर को फंस गए थे. बाहर निकलने की जद्दोजहद अब भी जारी है. सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए सुरंग में पाइप से ‘एस्केप सुरंग’ बनाने के लिए खुदाई आरंभ हो चुकी है. ऐसा माना जा रहा है कि 40 श्रमिकों को बाहर निकालने में 24 घंटे से ज्यादा का समय लग सकता है. दरअसल, ‘ऑल वेदर’ सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक भाग रविवार को भूस्खलन से ढह गया था. इसके बाद से श्रमिक उसके अंदर फंसे  हुए हैं. उन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास हो रहे हैं. 

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बचाव दल की ओर से आए बयान में बताया गया है कि मिट्टी की खुदाई करने वाली ऑगर मशीन और 900 मिलीमीटर व्यास के पाइप सुबह के वक्त मौके पर पहुंचाए गए हैं. सुरंग में ‘ड्रिलिंग’ (खुदाई) आरंभ हो चुकी है. देहरादून से बोरिंग मशीनें और आठ विशेषज्ञों की टीम उस स्थान पर मौजूद है. आपको बता दें कि यमुनोत्री-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और बारकोट के बीच 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का एक भाग भूस्खलन में ढह गया. इसमें मजूदर फंस गए. यह हादसा 12 नवंबर को सुबह करीब 5.30 बजे उस वक्त हुआ जब 100 मीटर लंबी छत गिर गई. यहां पर मजदूर री-प्रोफाइलिंग के काम में लगे हुए थे. 

पाइप डालने के लिए विशेष मशीनों को तैनात किया गया

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अफसरों का कहना है कि मलबे में एक पाइप डालने के लिए विशेष मशीनों को तैनात किया गया है. इसमें फंसे श्रमिकों को इसके जरिए निकालने का प्रयास हो रहा है. अधिकारियों का कहना है कि घटनास्थल पर मिट्टी की हालत बेहतर नहीं है. यह भुरभुरी है. ऐसे में बोरिंग सतर्कता से करनी होगी. ऐसा न होने पर मशीनें ध्वस्त हो सकती हैं. अधिकारियों ने कहा कि सुरंग के नीचे बिजली की व्यवस्था की गई है. मजदूर से वॉकी-टॉकी के माध्यम से कार्यकर्ताओं से संपर्क स्थापित किया है. उन्हें खाने की आवश्यकता है. इसके लिए ड्राई फ्रूट्स की आपूर्ति करने के लिए 4 इंच व्यास का एक प्रेशर पाइप डालने की कोशिश है.

 

First Published : 15 Nov 2023, 09:44:57 AM