उत्तराखंड की त्रासदी वॉटर पॉकेट के फटने का हो सकता है ये परिणाम

एक अन्य वैज्ञानिक, अंजल प्रकाश, जो हैदराबाद में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में रिसर्च डायरेक्टर और एडजंक एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने कहा कि प्रथम द्रष्टया यह जलवायु परिवर्तन की घटना की तरह दिखता है.

author-image
Shailendra Kumar
एडिट
New Update
Several feared missing as glacier breaks in Uttarakhand

उत्तराखंड की त्रासदी वॉटर पॉकेट के फटने का परिणाम हो सकती है( Photo Credit : IANS)

प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र में रविवार को आई भीषण बाढ़ ग्लेशियर के फटने की एक दुर्लभ घटना है और यह जलवायु परिवर्तन की घटना हो सकती है. आईआईटी इंदौर में सहायक प्रोफेसर मोहम्मद फारूक आजम ने बताया कि सैटेलाइट और गूगल अर्थ इमेज इस क्षेत्र के पास एक हिमाच्छादित झील नहीं दिखाते हैं, लेकिन संभावना है कि इस क्षेत्र में ग्लेशियर के अंदर वॉटर पॉकेट या झील हो सकती है जो उफन पड़ी हो और जिसके कारण यह आपदा आई. उन्होंने कहा कि हमें यह पुष्टि करने के लिए और भी विश्लेषण करने की दरकार है और मौसम की रिपोर्ट और डेटा खंगालने की जरूरत है कि क्या वाकई में ऐसा ही हुआ. हालांकि इस बात संभावना बहुत ही कम है कि यह एक बादल फटने की घटना थी क्योंकि चमोली जिले के मौसम संबंधी पूर्वानुमान में बताया गया है कि बारिश की कोई संभावना नहीं है और धूप खिली रहेगी.

Advertisment

यह भी पढ़ें : तपोवन की दूसरी सुरंग में भी कई लोग फंसे, मलबा हटाने में जुटी ITBP

उन्होंने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ग्लोबल वामिर्ंग के कारण इस क्षेत्र में गर्मी बढ़ गई है. जलवायु परिवर्तन ने अनियमित मौसम के पैटर्न को बढ़ाया और इसके परिणामस्वरूप ही बर्फबारी और बारिश देखने को मिल रही है. साथ ही सर्दी कम पड़ने के कारण बर्फ की थर्मल प्रोफाइल बढ़ रही है. जहां पहले बर्फ का तापमान माइनस छह से माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तक था, अब यह माइनस दो है, इसके कारण यह पिघलने के लिए अतिसंवेदनशील है.

यह भी पढ़ें : आपदा प्रभावित चमोली में लोगों की मदद करें कांग्रेस कार्यकर्ता : राहुल

एक अन्य वैज्ञानिक, अंजल प्रकाश, जो हैदराबाद में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में रिसर्च डायरेक्टर और एडजंक एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने कहा कि प्रथम द्रष्टया यह जलवायु परिवर्तन की घटना की तरह दिखता है. प्रकाश ने बताया कि आईपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन ने प्राकृतिक खतरों की आवृत्ति और परिमाण को बदल दिया है. कुछ क्षेत्रों में हिमपात बढ़ गए हैं, जबकि कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फीले बाढ़ की घटना भी बढ़ गई है.

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के बाद सेना ने शुरु किया बचाव अभियान

उन्होंने कहा कि चमोली जिले में हिमस्खलन किस वजह से हुआ है, इस बारे में जानकारी देने के लिए हमारे पास अभी आंकड़े नहीं हैं, लेकिन हम जानते हैं कि प्रथम द्रष्टया यह जलवायु परिवर्तन की घटना की तरह दिखता है क्योंकि ग्लोबल वामिर्ंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं. गौरतलब है कि इस त्रासदी में 150 लोगों की जान चली गई है और 150 से अधिक लोग लापता हैं. ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के समीप हिमस्खलन के बाद नदी के छह स्त्रोतों में से एक धौलीगंगा नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि हो गई. ग्लेशियर टूटने और फिर तेजी से जलस्त्र में बढ़ोत्तरी के बाद ऋषि गंगा में अचानक बाढ़ आ गई.

Source : IANS

glacier burst chamoli UK Glacier उत्तराखंड की त्रासदी Glacier Burst chamoli-district-uttarakhand-glacier glacier burst in uttarakhand uttarakhand-glacier-burst-in-chamoli Uttarakhand uttarakhand-glacier-burst
      
Advertisment