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उत्तराखंड : जंगल में बेकाबू आग से हिमालयी क्षेत्र में नए तरह के ये संकट

चमोली जनपद से रुद्रप्रयाग जनपद की ओर जंगल में आग ( Fire in Forest) बढ़ता हुआ दिख रहा है. बारिश होने पर कुछ इलाकों में आग थमती है और पारा चढ़ने के साथ ही फिर विकराल हो जा रही है.

Updated on: 26 Apr 2022, 10:04 AM

highlights

  • सोमवार देर रात चमोली और रुद्रप्रयाग के फॉरेस्ट डिविजन में वगी आग
  • हिमालय के जंगलों की जैवविविधता के लिए भी खतरनाक साबित हो रही 
  • वन विभाग के पास हर साल लगती आग को रोकने के लिए ठोस प्लान नहीं

देहरादून:

उत्तराखंड ( Uttarakhand ) में बड़े पैमाने पर जंगल में बढ़ती गर्मी के चलते इन दिनों आग ( Fire in Forest) लग रही है. अब तक सैकड़ों हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो चुके हैं. खासतौर पर रुद्रप्रयाग और चमोली जनपद में बड़े पैमाने पर जंगलों में धधकती आग से बड़ा नुकसान हो रहा है. सोमवार देर रात चमोली जनपद के ऊंचाई वाले क्षेत्रों और रुद्रप्रयाग जनपद के फॉरेस्ट डिविजन में बड़े पैमाने पर आग लगी. इस दौरान न्यूज़ नेशन की टीम ने ग्राउंड जीरो पर उतरकर मामले का जायजा लिया. 

चमोली जनपद के गोचर से दूर से लगी हुई आग नजर आ रही थी. 30 से 40 किलोमीटर दूर जंगल में पहुंचकर टीम ने जंगल में फैल रही आग और रोकथाम की कोशिशों के बारे में जानने की कोशिश की. चमोली जनपद से रुद्रप्रयाग जनपद की ओर आग बढ़ता हुआ दिख रहा है. बारिश होने पर कुछ इलाकों में आग थमती है और पारा चढ़ने के साथ ही फिर विकराल हो जा रही है. रूद्रप्रयाग फॉरेस्ट डिविजन के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह आग लगी हुई थी रुद्रप्रयाग जनपद के कांडा गांव के पास बड़े पैमाने पर आग लगी हुई थी.

रिकॉर्ड पैमाने पर खाक हो रहा जंगल

जानकारी के मुताबिक अब तक कुमाऊं के नॉर्थ रेंज में रिकॉर्ड पैमाने पर 768 हेक्टेयर जंगल खाक हो गया है. जंगलों में लगातार लगती आग से दूसरे तरह के खतरे भी सामने आ रहे हैं. कुमाऊं के चार पहाड़ी जिले अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चम्पावत में अब तक आग लगने की 430 घटनाएं हो चुकी हैं. जिनमें आरक्षित वनों में 294 बार, जबकि सिविल वनों में 136 बार आग लग चुकी है. यही नहीं आग लगने से 21 लाख 89 हजार का नुकसान भी हो चुका है. 

जंगल में आग से हिमालयी क्षेत्र के संकट
 
आग से बेशकीमती वन सम्पदा खाक होने के साथ ही बिगड़ता पर्यावरण कई बीमारियों को न्योता दे रहा है. इसके अलावा बड़े पैमाने पर वन्य जीवों का जीवन भी संकट में आ गया है. हालात ये हैं कि जंगली जानवर जिंदगी बचाने के लिए रिहायसी इलाकों की ओर कूच करने को मजबूर हैं. वहीं प्राकृतिक जलस्रोतों को भी इससे खासा नुकसान हो रही है. हिमालय के जंगलों की जैवविविधता के लिए भी जंगलों में बढ़ती आग काफी खतरनाक साबित हो रहा है.

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वन विभाग के पास कोई ठोस प्लान नहीं

जंगलों में लग रही आग को बुझाने के लिए वनकर्मी तैनात किए गए हैं. आग बुझाने के लिए संविदा पर भी कर्मचारी रखे गए हैं. संवेदनशील स्थानों पर फायर स्टेशन भी बनाए गए हैं. इसके बावजूद अभी तक विभाग के पास हर साल लगती आग को रोकने के लिए कोई ठोस प्लान तैयार नहीं दिख रहा है.