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Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami Photograph: (Social Media)
उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में नदियों के किनारों पर अवैध रूप से कैंप, होम स्टे, रिजॉर्ट और होटलों का निर्माण किया गया है. गैरकानूनी ढंग से बनाए गए ऐसे निर्माण प्रदेश के पर्यावरण के लिए भी खतरा बने हुए हैं. प्रदेश सरकार ने अब ऐसे गैरकानूनी निर्माणों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्णय किया है.
नदी- नालों के किनारे बने रिजॉर्ट व होटलों के खिलाफ कार्रवाई
देहरादून के डीएम सविन बंसल ने नदियों और नालों के किनारों पर अवैध रूप से निर्मित कमर्शियल स्ट्रक्चर्स के खिलाफ सख्ती दिखाई है. उन्होंने आदेश दिया है कि सहस्रधारा, मालदेवता, शिखर फाल, गुच्चूपानी औऱ किमाड़ी आदि पर्यटक स्थलों पर गैरकानूनी ढंग से बनाए गए होटलों व रिजॉर्ट आदि की उच्चस्तरीय जांच की जाए. इसके साथ ही डीएम ने उन वेबसाइटों को भी तुरंत बंद करने के आदेश दिए हैं, जो इन होटलों और रिजॉर्ट के लिए ग्राहकों की बुकिंग करती हैं.
प्राकृतिक आपदा से जान-माल का बड़ा नुकसान
नदियों की धारा को मोड़ने की कोशिशें, नदी के डूब क्षेत्र में अवैध रूप से होटल आदि का निर्माण, अवैध खनन,आदि, इस पूरे क्षेत्र के प्राकृतिक संतुलन के बिगड़ने की वजह बन रहे हैं. यही वजह है कि उत्तराखंड के इन इलाकों और आसपास के क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों के दौरान अत्यधिक वर्षा और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा पहले के मुकाबले काफी बढ़ गया है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान उत्तरकाशी, चमोली और पौड़ी गढ़वाल, आदि में बादल फटने और पहाड़ों के दरकने की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है. ऐसी घटनाओं में अनेक लोगों को अपनी जान के हाथ धोना पड़ता है और लाखों-करोड़ों रूपए की संपत्ति का नुकसान भी होता है.
अवैध निर्माण के खिलाफ उत्तराखंड सरकार की सख्ती की वजह
अवैध निर्माण के कारण नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा पड़ती है. जब तक नदी में पानी कम रहता है, तब तक तो स्थिति नियंत्रण में रहती है, लेकिन ज्यादा बरसात होने पर नदी का वेग बढ़ जाता है और डूब क्षेत्र के निर्माण नदी का तेज वेग बर्दाश्त नहीं कर पाते और ढह जाते हैं. इससे लाखों-करोड़ों रूपए का आर्थिक नुकसान तो होता ही है, कई लोगों की जान भी चली जाती है. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार नदी-नालों के किनारों पर अवैध निर्माण के खिलाफ काफी सख्त है.
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