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6 महीने के लिए बंद हुआ केदारनाथ धाम के कपाट
Kedarnath Dham closed: उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर के कपाट आज से सभी भक्तों के लिए बंद हो गया है. अब श्रद्धालुओं के लिए केदारनाथ धाम का कपाट 6 महीने के लिए बंद कर दिया गया है. कपाट को बंद करने से पहले केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली यात्रा निकाली गई थी.
6 महीने के लिए बंद हुआ केदारनाथ पट
मिली जानकारी के अनुसार, इस साल करीब 16 लाख भक्त दर्शन के लिए केदारनाथ पहुंचे. बता दें कि केदारनाथ 12 ज्योर्तिलिंग में से एक है और केदारनाथ जी को 11वां ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. रविवार की सुबह 8 बजे धूमधाम से केदारनाथ का कपाट बंद कर दिया गया. अब यह शीतकाल के बाद फिर से भक्तों के लिए खोला जाएगा. रविवार को करीब 15 हजार श्रद्धालु बाबा के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. आज सुबह 5 बजे से ही मंदिर का कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई. जिसके बाद मंदिर में पूजा पाठ के बाद करीब 8.30 बजे मंदिर का कपाट बंद कर दिया गया.
#WATCH | Uttarakhand: The portals of Shri Kedarnath Dham closed for the winter season today at 8:30 am. The portals were closed with Vedic rituals and religious traditions amidst chants of Om Namah Shivay, Jai Baba Kedar and devotional tunes of the Indian Army band.
— ANI (@ANI) November 3, 2024
(Source:… pic.twitter.com/vCg2as6aJ7
करीब 15 हजार श्रद्धालु हुए शामिल
इस दौरान बाबा की पंचमुखी डोली के साथ पैदल यात्रा पर हजारों भक्त रामपुर के लिए रवाना हुए. पंचमुखी उत्सव डोली यात्रा के बाद वापस से डोली को बाबा केदार के मंदिर के पास लाया गाय और कपाट बंद कर दिया गया. हर साल शीतकाल के समय केदारनाथ धाम के पट को बंद कर दिया जाता है, जो 6 महीने बाद श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोला जाता है. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना की जाती है.
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शिवपुराण में केदारनाथ का वर्णन
शिवपुराण में कहा गया है कि केदारनाथ के दर्शन मात्र से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और सांसरिक सुखों को भोगने के बाद वह स्वर्ग चला जाता है. यहां तक कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद पांचों पांडव भाई शिव की तलाश में निकले थे.
महादेव की तलाश में निकले थे पांडव
उनकी खोज में पहले पांडव वाराणसी पहुंचे, लेकिन जब महादेव वहां नहीं मिले तो पांडव केदारनात धाम चले गए. वहीं, जब पांडव महादेव का पीछा करते हुए केदारनाथ पहुंचे तो उन्होंने बेल का रूप ले लिया. जिसे भीम ने देखकर पहचान लिया कि यह महादेव ही हैं. जैसे ही भीम ने उन्हें पकड़ा, उनका मुंह दूसरी जगह पहुंच गया और देह वहीं रह गया. तब से ही केदारनाथ में देह वाले हिस्से की पूजा की जाने लगी और जहां उनका मुंह पहुंचा, उसे पशुपतिनाथ के नाम से जाना जाता है.