Patanjali Research on Lung Disease: योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के जरिए लोगों को स्वस्थ जीवन देने की कोशिश कर रहे हैं. जिसके लिए पतंजलि योगपीठ में लगातार नए शोध और रिसर्च हो रही हैं. अब पतंजलि के वैज्ञानिकों ने माइक्रोप्लास्टिक से होने वाली फेफड़ों की बीमारियों का भी आयुर्वेद इलाज खोज लिया है. पतंजलि का ये शोध एक विश्व प्रसिद्ध जर्नल में प्रकाशित हुआ है. पतंजलि ने अपने शोध में पाया है कि फेफड़ों से संबंधित बीमारियों को ब्रोंकोम नाम की टेबलेट से किया जा सकता है.
क्या है माइक्रोप्लास्टिक से होने वाली फेफड़ों की बीमारी
दरअसल, दुनियाभर में प्लास्टिक से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं में तेजी देखने को मिल रही है. प्लास्टिक के छोटे–छोटे कण यानी माइक्रोप्लास्टिक हवा के साथ-साथ पानी और भोजन में भी पाए जाने लगे हैं. जो जाने अनजाने में हर दिन इंसान के शरीर में खाने के जरिए पहुंच रहे हैं. इंसानों के शरीर में पहुंचने के बाद प्लास्टिक के ये छोटे कण सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करते हैं. जिससे ये कण सूजन, जलन और कोशिकीय क्षति जैसी समस्याएं पैदा करते हैं. इससे फेफड़ों की सूजन (Lung Inflammation) और वायुमार्ग अति-संवेदनशीलता (Airway Hyper-Responsiveness) जैसी गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.
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पतंजलि ने चूहों पर किया शोध
इसे लेकर पतंजलि के वैज्ञानिकों ने चूहों पर एक शोध किया. पतंजलि के इस नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ कि माइक्रोप्लास्टिक के कारण होने वाली फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी को आयुर्वेदिक औषधि ब्रोंकोम से काफी हद तक रोका जा सकता है. इस शोध में पतंजलि के वैज्ञानिकों ने पुष्टि हुई कि ब्रोंकोम के उपचार ने माइक्रोप्लास्टिक से होने वाले फेफड़ों के इन्फ्लेमेशन से जुड़ें मार्कर्स जैसे साइटोकाइन रिलीज (Cytokine Release) के साथ वायुमार्ग अति-संवेदनशीलता (Airway Hyper-Responsiveness) को कम किया जा सकता है. पतंजलि के वैज्ञानिकों का ये शोध विश्व प्रतिष्ठित एल्सिवियर (Elsevier) प्रकाशन के अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल बायोमेडिसिन और फार्माकोथेरेपी (Biomedicine & Pharmacotherapy) में प्रकाशित हुआ है.
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जनित बीमारियों का भी संभव है समाधान: आचार्य बालकृष्ण
पतंजलि के इस शोध को लेकर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि, पतंजलि का उद्देश्य आयुर्वेद को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करना है. साथ ही आयुर्वेद के जरिए विश्व की स्वास्थ्य से जुड़ी वर्तमान समस्याओं का समाधान निकालना है. उन्होंने कहा कि यह शोध से ये प्रमाणित होता है कि सनातन ज्ञान, लक्षित अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित औषधियों के माध्यम से पर्यावरणीय कारकों द्वारा जनित बीमारियों का भी समाधान निकाल सकता है.
वहीं पतंजलि अनुसन्धान संस्थान के उपाध्यक्ष और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि सनातन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के इस अद्भुत संगम में पूरे विश्व को निरोगी बनाने की अपार क्षमता है. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि आयुर्वेद के इस प्राचीन ज्ञान को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया जाए.
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