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एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला( Photo Credit : ट्विटर ANI)
भारत-नेपाल सीमा विवाद (Indo nepal land dispute) के चलते नेपाल ने भारत की सीमा को जोड़ने वाली फुट ओवर ब्रिज (Foot over bridge) को कई बार बंद कर दिया है. इसको लेकर उत्तराखंड के धारचूला के एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने कहा कि हाल ही में, कई बार नेपाल ने भारत-नेपाल को जोड़ने वाले फुटब्रिज को बंद कर दिया. जिससे उनके देश में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो गई. साथ ही उन्होंने कहा कि हम नेपाल के साथ अपनी अगली दोस्ताना बैठक में इस मुद्दे को उठाएंगे. लेकिन नेपाल भारत से सदियों पुराने संबंधों को तोड़ने पर अमादा नेपाल, अब अपने संसद में सांसदों को हिन्दी में बोलने पर भी पाबन्दी लगाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. भारत के साथ राजनीतिक और कूटनीतिक बातचीत के सारे रास्ते बन्द करने, भारत के साथ रहे पारिवारिक रिश्तों पर आघात पहुंचाने, भारत के साथ अपने सीमाओं को बंद करने के बाद नेपाल की कम्यूनिष्ट सरकार अब अदालत का सहारा लेकर नेपाल की संसद में हिन्दी में बोलने पर पाबंदी लगाने की योजना में है.
Recently, a number of times Nepal closed the footbridge connecting India-Nepal, disrupting the supply of essential commodities into their country. We'll raise this issue in our next friendly meeting with Nepal: Anil Kumar Shukla, SDM Dharchula, Uttarakhand pic.twitter.com/rTEIkKYHaN
— ANI (@ANI) June 26, 2020
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नेपाली संसद के किसी भी सदन में हिन्दी में बोलने पर पाबंदी लगाने की मांग की थी
सत्तारूढ़ दल नेपाल कम्यूनिष्ट पार्टी के वैचारिक संगठन के रूप में रहे नेपाल लयर्स एसोसिएशन से जुड़े वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल करते हुए नेपाली संसद के किसी भी सदन में हिन्दी में बोलने पर पाबंदी लगाने की मांग की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संसद में हिंदी बोलने देने का कारण देते हुए 15 दिनों के भीतर लिखित जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति प्रकाश कुमार ढुंगना की एकल पीठ ने आज अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के माध्यम से नेपाल की संघीय सरकार और संसद सचिवालय को लिखित रूप से स्पष्टीकरण देने का आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि संसद में नेपाली भाषा के अलावा अन्य भाषाओं में बोलने की इजाजत क्यों दी जाती है? अधिवक्ता केशर जंग केसी और लोकेंद्र ओली ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की थी कि नेपाल के संविधान में देवनागरी लिपि की नेपाली भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए.