/newsnation/media/post_attachments/images/2022/02/12/himalayas-83.jpg)
Himalayan regions( Photo Credit : social media)
हिमालयी क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभाव अब प्रत्यक्ष नजर आने लगे हैं. जीआइएस रिमोट सेसिंग तथा सेटेलाइट फोटोग्राफ के माध्यम से किए अध्ययन में पता चला है कि कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले में गोरी गंगा क्षेत्र में ग्लेशियर पिघलने से उच्च हिमालय में 77 झीलें बन गई हैं. जिनका व्यास 50 मीटर से अधिक है. दरअसल एक रिसर्च किया गया. जिसमें 2017 से 2022 तक उच्च हिमालयी क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का गहन अध्ययन हुआ, अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार गोरी गंगा क्षेत्र के मिलम, गोंखा, रालम, ल्वां एवं मर्तोली ग्लेशियर सहित अन्य सहायक ग्लेशियर भी ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव की चपेट में हैं. यहां ग्लेशियर झीलों के व्यास बढ़ रहा है और नई झीलों का निर्माण तेजी से हो रहा है.
ये भी पढ़े: Ashram flyover reopen: दोबारा खुल जाएगा आश्रम फ्लाईओवर, जाम से मिलेगी बड़ी राहत
वहीं वाडिया इंस्टीट्यूट के रिटायर्ड वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल के मुताबिक 2015 में रिसर्च किया गया था. जिसमें कुमाऊनी 219 ग्लेशियरों पर झीलें बनी हुई है. डॉ डीपी डोभाल के मुताबिक ग्लेशियर पर बनने वाले 3 तरह के झीलें होती है सार्क लेक, इस तरह की झीलें हार्ड रॉक पर बनती है इसके आसपास क्षेत्र भी हार्ड रॉक का होता है और इसका पानी की निकासी होती रहती है,दूसरी मोरेन लेक, इस तरह की झीलें ग्लेशियर के मटेरियल जिसे मोरेन कहा जाता है उस पर बनती है, इनका साइज छोटा या बड़ा भी होता है,तीसरी ओर सबसे ज्यादा लेक यानी झीलें होती है वो सुप्रा ग्लेशियर लेक. जो ज्यादातर ग्लेशियर के ऊपर बनती है और इनकी संख्या भी ज्यादा है. जो 7 मीटर से 10 मीटर तक की भी हो सकती है लेकिन धीरे-धीरे यह सुप्रा ग्लेशियर लेक खत्म हो जाती है.
डॉ डीपी डोभाल के मुताबिक अभी उत्तराखंड में कोई ऐसी बड़ी झील नहीं है, जिसे हम यह बोल सके कि खतरा है. नहीं कोई इस तरह की आईडेंटिफाइड हुई है जो बाढ़ ला सकती है क्योंकि बड़ी खतरनाक लेक मोरेन पर होती है डॉ डीपी डोभाल के मुताबिक केदारनाथ आपदा के बाद 2013 में वाडिया इंस्टीट्यूट ने स्टडी की थी और हिमालई क्षेत्रों में जितने भी झीलें बन रही है उनकी एक रिपोर्ट तैयार की थी उस रिपोर्ट के मुताबिक अभी फिलहाल हिमालय क्षेत्रों में कोई ऐसी ग्लेशियर पर झील नहीं है जो खतरा ला सकती है हालांकि इस बात को मानते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते ग्लेशियर पर जिले बन भी रही है और अपने आप खत्म भी हो रही है
Source : News Nation Bureau