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Kedarnath Dham Yatra: उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ धाम में गुरुवार 23 अक्टूबर को भावनाओं का अनोखा संगम देखने को मिला. भाई दूज के शुभ अवसर पर सुबह करीब 8:30 बजे भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. इस आध्यात्मिक क्षण के साक्षी बनने हजारों श्रद्धालु धाम में पहुंचे और ‘हर-हर महादेव’ तथा ‘जय बाबा केदार’ के उद्घोष से पूरी घाटी गूंज उठी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस पावन अवसर पर उपस्थिति दर्ज कराई और भक्तों के साथ बाबा केदार के दर्शन किए.
ऊखीमठ में छह महीने तक होंगे दर्शन
कपाट बंद होने के बाद अब बाबा केदार की शीतकालीन पूजा-अर्चना ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में होगी. परंपरा के अनुसार, कपाट बंद होते ही भगवान केदारनाथ की चल डोली अपने शीतकालीन प्रवास के लिए रवाना हुई.
पहले दिन डोली रामपुर में रात्रि विश्राम करेगी, 24 अक्टूबर को गुप्तकाशी पहुंचेगी और तीसरे दिन यानी 25 अक्टूबर को ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में प्रतिष्ठित की जाएगी. अगले छह महीनों तक भक्तगण वहीं बाबा केदार के दर्शन और पूजा का लाभ ले सकेंगे.
यमुनोत्री धाम के कपाट भी होंगे बंद
केदारनाथ के साथ ही आज यमुनोत्री धाम के कपाट भी दोपहर 12:30 बजे शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. इसके बाद चारधाम यात्रा का यह चरण आधिकारिक रूप से विराम पर जाएगा और आगामी ग्रीष्मकाल में कपाट पुनः श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे.
बर्फबारी और आपदाओं के बावजूद रिकॉर्ड तोड़ यात्रा
इस वर्ष उत्तराखंड की चारधाम यात्रा ने कई नई उपलब्धियां दर्ज कीं. लगातार बारिश, भूस्खलन और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ. केदारनाथ धाम में अब तक 16.56 लाख से अधिक यात्रियों ने दर्शन किए जो अब तक का नया रिकॉर्ड है. वहीं बदरीनाथ धाम में 14.53 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे.
पिछले वर्ष (2024) के मुकाबले यह संख्या उल्लेखनीय रूप से अधिक है, जब केदारनाथ में 16.52 लाख और बदरीनाथ में 14.35 लाख यात्रियों ने दर्शन किए थे.
आस्था और श्रद्धा की अमर परंपरा
हर वर्ष की तरह इस बार भी बाबा केदार के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था ने साबित किया कि पर्वतीय बाधाएं भले सामने हों, लेकिन भक्ति की लौ कभी मंद नहीं होती. शीतकाल में भले ही कपाट बंद हो गए हों, मगर ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना के माध्यम से बाबा केदार की कृपा पूरे उत्तराखंड और देशभर के भक्तों पर बनी रहेगी.
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