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Joshimath Crisis: जोशीमठ में भू-धंसाव की वजह जानकर रह जाएंगे हैरान, वैज्ञानिक ने किया ये खुलासा

Joshimath Land Subsidence Update : उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने और घरों की दरारों की घटनाओं को लेकर केंद्र और राज्य सरकार काफी गंभीर है. चमोली के जोशीमठ (Joshimath Crisis) में 600 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं.

Updated on: 09 Jan 2023, 04:44 PM

देहरादून:

Joshimath Land Subsidence Update : उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने और घरों की दरारों की घटनाओं को लेकर केंद्र और राज्य सरकार काफी गंभीर है. चमोली के जोशीमठ (Joshimath Crisis) में 600 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं, जबकि 68 परिवारों को सुरक्षित दूसरे स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया है. इस लेकर पीएमओ ने भी रविवार को हाईलेवल की मीटिंग की थी. वाडिया भूगर्भ संस्थान के निदेशक डॉ. काला चांद साईं ने इस आपदा को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी है.

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वाडिया भूगर्भ संस्थान के डायरेक्टर डॉ. काला चांद साईं ने बताया कि जोशीमठ में भू-धंसाव के कई कारण हो सकते हैं. शुरुआती तौर पर जो चीजें दिख रही हैं उसके मुताबिक एक तो यह बात साफ है कि यह पूरा मोरेन क्षेत्र है यानी हजारों साल पहले ग्लेशियर यहां पर रहे होंगे और आप ग्लेशियर के मोरेन पर पिछले सैकड़ों साल से यह शहर बसा हुआ है. मोरेन की एक कैपेसिटी होती है. मोरेन की कैपेसिटी से बाहर ज्यादा भार होने पर इस तरह की दिक्कतें होती हैं. ऐसा लगता है कि जोशीमठ में कंस्ट्रक्शन की वजह से भार ज्यादा होते जा रहा है, जिसका रिएक्शन दिख रहा है.

उन्होंने कहा कि जोशीमठ में ड्रेनेज सिस्टम का ना होना भी एक बड़ा कारण है. वाडिया के वैज्ञानिक लगातार जोशीमठ की हर स्थिति को मॉनिटर कर रहे हैं. डायरेक्टर वाडिया का कहना है कि प्राकृतिक जल की निकासी का क्षेत्र अवरुद्ध होने के चलते भी यह संभव है कि जमीन तेजी से नीचे की ओर खिसक रही हो. टनल और अन्य कंस्ट्रक्शन के जरिए इस तरह की चीजें होती हैं, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

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डॉ. काला चांद साईं ने कहा कि ग्रीन एनर्जी के लिए जिस तरह से हाइड्रो पावर एनर्जी के क्षेत्र में इस जगह पर डैम के काम हुए हैं, उससे भी बड़ा नुकसान हो सकता है. रोड कंस्ट्रक्शन का भी काम लगातार चल रहा है.