भारत और नेपाल (India-Nepal) के रिश्ते इन दिनों सामान्य नहीं है. पहले जहां नेपाली संसद द्वारा विवादित नक्शे को पास कराया गया, वहीं अब धारचूला से लगे हुए सीमांत क्षेत्रों की ओर नेपाल अपने बॉर्डर पर अपनी बॉर्डर चौकियां बना रहा है. जिस पर उत्तराखंड (Uttarakhand) के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत (Harish Rawat) का बड़ा बयान सामने आया है.
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इस मामले पर हरीश रावत ने कहा है कि पाकिस्तान और चीन से हमारे संबंध अच्छे नहीं हैं, क्योंकि वह हमारे साफ तौर पर शुरू से ही दुश्मन रहे हैं. लेकिन नेपाल के साथ हमारे सांस्कृतिक और पौराणिक संबंध हैं. माता जानकी का मायका नेपाल में ही है. नेपाल के साथ हमारे संबंध बहुत घनिष्ठ हैं, लेकिन अगर नेपाल आर्मी के साथ चीन के लोग चीन की आर्मी इस तरह के कार्य कर रही है तो यह कहीं ना कहीं बहुत गंभीर है. क्योंकि जिस तरह की बातें निकल कर आ रही हैं, उस लिहाज से सरकार को इस मामले पर गंभीरता से सोचना चाहिए.
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उधर, नेपाल मुद्दे पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि यह कोई बहुत गम भी मामला नहीं है, नेपाल के साथ किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है. नेपाल अपनी जमीन में अपने बॉर्डर पर अगर चौकी बना रहा है तो उस पर किसी तरह का कोई एतराज नहीं होना चाहिए. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़ विधानसभा की वर्चुअल रैली के दौरान उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ की सीमा नेपाल और चीन से जुड़ी है. इस जनपद का सामरिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है. राज्य सरकार के विशेष प्रयासों से चीन सीमा तक लिपूलेख सड़क के निर्माण में तेजी आयी है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि लिपूलेख के साथ ही लद्दाख सीमा तक सडकों के निर्माण और बॉर्डर क्षेत्रों में हवाई अड्डों के विस्तार से चीन परेशान है. आत्म निर्भर भारत एवं लोकल से वोकल के प्रधानमंत्री के आह्वान से चीन अपने सामान की मार्केटिंग से चिन्तित है.
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