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कोरोना वायरस से जंग में योगी मॉडल कारगर, उत्तर प्रदेश में 1 हजार से नीचे आए नए केस

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट फॉर्मूले का ही असर है कि देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य में कोविड संक्रमण के मामले एक हजार से नीचे आ गए हैं.

Updated on: 07 Jun 2021, 11:35 AM

highlights

  • यूपी में कोरोना के 700 नए मरीज मिले
  • फिलहाल कुल सक्रिय केस 15600 बचे
  • प्रदेश में पॉजिटिविटी दर भी बहुत कम

लखनऊ:

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जंग में योगी मॉडल कारगर सिद्ध हुआ है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट फॉर्मूले का ही असर है कि देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य में कोविड संक्रमण के मामले एक हजार से नीचे आ गए हैं. राज्य में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के सिर्फ 700 नए मरीज मिले हैं, जबकि इस अवधि में 2860 मरीज संक्रमणमुक्त हुए हैं. इसी के साथ राज्य में फिलहाल कुल सक्रिय केस 15600 बचे हैं. अन्य राज्यों के मुकाबले उत्तर प्रदेश में पॉजिटिविटी दर भी बहुत कम है.

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उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ मेरठ, लखनऊ और गोरखपुर में 600 से ज्यादा सक्रिय मामले हैं. प्रदेश के किसी जिले में 100 से अधिक केस नहीं आए हैं, जबकि 2 जिलों में कोई केस दर्ज नहीं हुआ है. 45 जिलों में सिंगल डिजिट में केस आएं तो शेष में डबल डिजिट में मामले दर्ज हुए हैं. उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 3.10 लाख टेस्ट हुए हैं. 5 करोड़ से अधिक टेस्ट करने वाला उत्तर प्रदेश अकेला राज्य है. इसके अलावा प्रदेश में 2.02 करोड़ टीकाकरण करने वाला राज्य बना है. 

गौरतलब है कि यूपी के योगी मॉडल के तहत ही राज्य में कोरोना संक्रमण पर काबू पाया जा सका है. कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश में भी अचानक संक्रमण की रफ्तार कई गुना बढ़ गई. 24 अप्रैल को तो 24 घंटे में सर्वाधिक 38055 लोगों के संक्रमण का रिकॉर्ड बना था. मुख्यमंत्री योगी उस दौरान खुद भी संक्रमित हो गए थे. हालांकि योगी मॉडल के बाद जल्द ही राज्य में महामारी पर काबू पाया जा सका और आज इसी का नतीजा यह है कि दैनिक मामले एक हजार से नीचे आ गए हैं.

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आपको बता दें कि कोविड प्रबंधन को लेकर यूपी के योगी मॉडल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी सराहा चुका है. इसके बाद नीति आयोग ने भी इसकी प्रशंसा की थी. डब्लूएचओ या नीति आयोग जैसी दुनिया और देश की शीर्ष संस्थाएं यूं ही नहीं किसी देश या प्रदेश की तारीफ कर देती हैं. तारीफ करने से पहले भी इस बात की गहन परख की जाती है कि संबधित विषय के प्रबंधन के लिए संबधित सरकार ने क्या योजना बनाई, उसका क्रियान्वयन कैसे किया, क्रियान्वयन के नतीजे क्या आए. इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचकर सार्वजनिक बयान आता है.