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CM Yogi Adityanath Photograph: (Social)
UP News: सरकारी विभागों और शिक्षण संस्थानों में अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. जिन कर्मचारियों या शिक्षकों ने तथ्यों को छिपाकर मृतक आश्रित के रूप में नौकरी हासिल की थी, अब उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. सभी विभाग ऐसे कर्मचारियों की फाइलें खंगालने में जुट गए हैं.
सूत्रों के अनुसार, शासन स्तर पर शिकायतें पहुंचने के बाद इन मामलों की दोबारा जांच शुरू हो गई है. कई जगह विरोधियों ने ही गलत नियुक्ति की पोल खोली, जिससे हड़कंप मचा है.
नियम क्या कहते हैं?
- किसी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर केवल उसके पति/पत्नी या बेटा-बेटी को ही अनुकंपा नौकरी मिल सकती है.
- यदि पति-पत्नी दोनों ही राजकीय सेवा में हैं और उनमें से किसी एक की मृत्यु हो जाए, तो आश्रित बच्चों को यह सुविधा नहीं दी जा सकती.
- मृतक के भाई या अन्य रिश्तेदार अनुकंपा नियुक्ति के पात्र नहीं हैं. इसके बावजूद, कई विभागों और निकायों में ऐसे लोगों को नौकरी मिल चुकी है जो पात्र नहीं थे.
विभागीय मिलीभगत से मिली नौकरी
बताया जा रहा है कि कई मामलों में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से तथ्यों को दबाकर अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई. शिकायतों के बाद फाइलें जरूर तलब की गईं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद विभाग सख्त हो गए हैं और रिपोर्ट शासन को भेजने की तैयारी कर रहे हैं.
हाईकोर्ट का आदेश बना टर्निंग प्वाइंट
हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए आदेश दिया. इसमें पाया गया कि एक व्यक्ति ने अनुकंपा नौकरी पाने के लिए यह तथ्य छिपा लिया कि उसकी मां भी सरकारी सेवा में थीं. कोर्ट के आदेश के बाद ही शासन ने सभी विभागों को ऐसे मामलों की जांच तेज करने के निर्देश दिए हैं.
आएंगे जांच के दायरे में जिम्मेदार अधिकारी भी
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसी अधिकारी ने बिना जांच के गलत तरीके से अनुकंपा नौकरी दी है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई तय है. यानी सिर्फ फर्जी नियुक्ति पाने वाले कर्मचारी ही नहीं, बल्कि नियुक्ति कराने वाले जिम्मेदार भी सजा भुगत सकते हैं.
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