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योगी के दिल्ली दौरे ने दिया कई अटकलों को जन्म, चुनाव से पहले अलग पूर्वांचल की चर्चा

उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे ने और नई अटकलों को जोर दे दिया है. सियासी हलकों में चर्चाएं यूपी से अलग पूर्वांचल बनाने की हैं.

उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे ने और नई अटकलों को जोर दे दिया है. सियासी हलकों में चर्चाएं यूपी से अलग पूर्वांचल बनाने की हैं.

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Dalchand Kumar
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योगी के दिल्ली दौरे ने दिया कई अटकलों को जन्म, अलग पूर्वांचल की चर्चा( Photo Credit : फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए अभी कुछ महीनों का वक्त बचा है, मगर चुनावी बिसात बिछाने के लिए राजनीतिक दलों ने रणनीति तैयार कर ली हैं, जिसमें चाल, चरित्र और चेहरे की परछाई साफ नजर आती है. खासकर सत्तारूढ़ बीजेपी चुनावी मोड़ में आ चुकी है. मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन में मजबूती के लिए फॉर्मूला तय करने यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ बीते दिन दिल्ली पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री मोदी के साथ साथ अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात हुई. मुलाकात वैसे तो अगले साल होने वाले चुनाव का एजेंडा सेट करने को लेकर ही थी. लेकिन अब योगी के दिल्ली दौरे के बाद नई अटकलों नेे जोर पकड़ लिया है. सियासी हलकों में चर्चाएं यूपी से अलग पूर्वांचल बनाने की हैं.

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क्या यूपी को दो हिस्सों में बांटने की तैयारी है

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की मुलाकात के बाद अटकलें यह हैं कि क्या यूपी को दो हिस्सों में बांटने की तैयारी है? अभी इस बात का दावा करना तो ठीक नहीं है, मगर राजनीतिक गलियारों से हवाएं यह चल रही हैं कि मोदी सरकार मौजूदा प्रदेश से पूर्वांचल वाले हिस्से को अलग करके नया राज्य बनाने की सोच रही है. पूर्वांचल की राजनीति पर नजर रखने वाले कुछ जानवार बताते हैं कि अगर पूर्वांचल बना तो गोरखपुर भी नए राज्य में आएगा, जो योगी आदित्यनाथ का गढ़ है. योगी 5 बार गोरखपुर से लोकसभा सांसद रहे हैं. योगी गोरक्षपीठ के महंत भी हैं, जिसका केंद्र गोरखपुर ही है.

अलग पूर्वांचल की मांग पुरानी

माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से ही होकर जाता है. पूर्वांचल में जिस दल को अधिक सीटें मिलीं, वही यहां की सत्ता पर काबिज होता है. मगर एक असलियत यह भी है कि बीते 27 साल के चुावी इतिहास को देखा जाए तो पूर्वांचल का मतदाता कभी किसी एक पार्टी के साथ नहीं रहा. गौरतलब है कि अलग पूर्वांचल, बुंदेलखंड और हरित प्रदेश की मांग उत्तर प्रदेश में लंबे अरसे से चलती आ रही है. ऐसे में फिर से सत्ता में वापस आने के लिए बीजेपी अलग पूर्वांचल का दांव खेल सकती है. हालांकि कुछ जानकार कहते हैं कि मौजूदा वक्त में यूपी का बंटवारा मुश्किल है, क्योंकि चुनाव में करीब 8 महीने ही बचे हैं, जबकि बंटवारे और परशिमन के लिए एक लंबा वक्त चाहिए होता है.

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चुनावों से पहले बीजेपी मुश्किल में भी

लेकिन इतना तय है कि इस बार बीजेपी पहले से भी ज्यादा ताकतवर होकर सत्ता में वापसी करने की तैयारी में है. हालांकि इससे पहले यूपी में बीजेपी मुश्किल में भी फंसी है. करीब एक महीने से योगी सरकार के खिलाफ पार्टी के भीतर से ही विरोध के सुर उभर रहे हैं. बात बिगड़ी हुई है मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर और साथ में योगी आदित्यनाथ के रवैये को लेकर. कुछ नेताओं और विधायकों की शिकायतें ये रही हैं कि योगी आदित्यनाथ किसी की भी सुनते नहीं हैं. बाद में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के बीच भी सीधे टकराव की खबरें आईं, जो मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर ही थीं. मोदी अपने पसंद के कुछ नेताओं को कैबिनेट में देखना चाहते हैं. मगर कहा जाता है कि योगी मंत्रिमंडल में अपने कुछ लोगों को लाना चाहते हैं.

योगी ने की मोदी, शाह और नड्डा से मुलाकात

बीजेपी की तैयारियां चुनावों को लेकर हैं. मगर पहले असल चुनौती मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर है, जिससे होकर संगठन की मजबूती का रास्ता भी निकलेगा. इनसे निपटने के लिए लगातार चर्चाएं हो रही हैं. बीते एक पखवाड़े से बीजेपी के अंदर बैठकों और मंथन का दौर चल रहा है. बीते दिन योगी आदित्यनाथ दिल्ली पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद उन्होंने कई अटकलों पर पूर्ण विराम लगाया. योगी ने दिल्ली में नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने चुनावी मंत्र लिया और 2022 की जीत का ब्लूप्रिंट लेकर लखनऊ लौटे.

HIGHLIGHTS

  • यूपी को दो हिस्सों में बांटने की तैयारी?
  • अलग पूर्वांचल राज्य बनाने की चर्चाएं
  • चुनाव से पहले BJP चल सकती है दांव
Yogi Adityanath Uttar Pradesh Purvanchal Yogi Modi Meeting
      
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