logo-image

कयामत की रात थी... विकास दुबे के घर से पानी की तरह बरस रही थीं गोलियांः हमले में जख्मी एसओ की आपबीती

एक दशक में पुलिस पर हुए सबसे दुस्साहसिक हमलों में शुमार कानपुर की उस वारदात में जिंदा बचे चंद खुशकिस्मत पुलिसकर्मियों में शामिल बिठूर (Bithoor) के थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह उस वारदात को याद कर सिहर उठते हैं.

Updated on: 06 Jul 2020, 07:15 AM

highlights

  • विकास दुबे के घर की छत से टॉर्च की रोशनी में बनाया पुलिस को निशाना.
  • बिठूर के जख्मी एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने सुनाई उस रात की आपबीती.
  • गोलियों की बौछार ऐसी थी मानो सावन में जमकर गोलियों की बारिश हो रही.

नई दिल्ली:

कानपुर के बिकरू गांव में दो/तीन जुलाई की दरमियानी रात को गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) के घर छापा मारने गई पुलिस टीम पर हुए कातिलाना हमले के साक्षी बिठूर थानाध्यक्ष की नजर में वह कयामत की रात थी. पिछले करीब एक दशक में पुलिस पर हुए सबसे दुस्साहसिक हमलों में शुमार कानपुर की उस वारदात में जिंदा बचे चंद खुशकिस्मत पुलिसकर्मियों में शामिल बिठूर (Bithoor) के थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह उस वारदात को याद कर सिहर उठते हैं.

यह भी पढ़ेंः कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में रूस को पीछे छोड़ा भारत ने, बना तीसरा सबसे प्रभावित देश

पुलिस दल को ऐसे हमले का आभास तक नहीं था
कानपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे सिंह ने कहा, 'पुलिस दल को तनिक भी आभास नहीं था कि उस पर ऐसा जघन्य हमला होने जा रहा है. पुलिस के पास उस हमले का जवाब देने के लायक हथियार भी नहीं थे. दूसरी ओर हमलावर पूरी तरह से तैयार थे. उन सब के पास सेमी ऑटोमेटिक हथियार थे. जैसे ही हम गली में खड़ी की गई जेसीबी को पार कर आगे बढ़े, छत से गोलियों की बौछार शुरू हो गई.'

यह भी पढ़ेंः बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी रहेंगे प्रियंका गांधी के घर रहे 35, लोधी एस्टेट में

टॉर्च की रोशनी में बनाया पुलिस को निशाना
सिंह ने कहा कि पुलिस कर्मियों को अंधेरे का सामना करना पड़ा जबकि हमलावरों के पास टॉर्च थी जिनकी रोशनी सिर्फ पुलिसकर्मियों पर पड़ रही थी. पुलिस बदमाशों को नहीं देख पा रही थी. बिठूर थाना अध्यक्ष ने कहा, 'उन्हें फोन करके इस छापेमारी के लिए बुलाया गया था क्योंकि चौबेपुर और बिठूर एक दूसरे से सटे हुए इलाके हैं. लिहाजा हम एक-दूसरे थाने की पुलिस की मदद करते हैं. रात करीब 12:30 बजे हम दुबे के मकान पर छापा डालने के लिए निकले थे. हमारे साथ चौबेपुर के थानाध्यक्ष भी थे. हमने अपने वाहन विकास दुबे के घर से 200 ढाई सौ मीटर की दूरी पर खड़े किए थे.'

यह भी पढ़ेंः Covid-19 : केजरीवाल सरकार ने हाईरिस्क वाले लोगों के लिए रैपिड एंटीजन जांच की अनिवार्य

गोलियां पानी की तरह बरस रही थीं
उन्होंने बताया कि पुलिस जैसे ही जेसीबी वाहन को फांदकर दूसरी तरफ पहुंची, बमुश्किल एक मिनट के अंदर छत से गोलियों की बौछार शुरू हो गई. पहले राउंड में तीन पुलिसकर्मियों को गोलियां लगी जबकि बाकी पुलिसकर्मी जहां-तहां छुप गए. जिसे जो जगह मिली वह वहां दुबक गया. बिल्हौर के पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा को गोलियां कैसे लगीं, इस बारे में सिंह ने कहा कि इस मामले में कुछ भी कहना मुश्किल है कि उन्हें किसकी गोली लगी, क्योंकि बेतरतीब फायरिंग हो रही थी. वह जिस जगह छुपे थे वहां पर ठीक ऊपर से गोलियां चलाई जा रही थी. वह 15-20 लोग थे जिन्होंने पुलिस पर हमला कियाा.

यह भी पढ़ेंः 2021 से पहले नहीं आ सकती कोरोना की वैक्सीन, मंत्रालय ने कदम किए पीछे !

विनय तिवारी भी था साथ
हमले की इस मामले में निलंबित किए गए चौबेपुर के थाना अध्यक्ष विनय तिवारी के बारे में पूछे गए इस सवाल पर कि क्या वे पुलिस दल में सबसे पीछे चल रहे थे, सिंह ने कहा ऐसा कहना सही नहीं है क्योंकि हम सभी लोग कंधे से कंधा मिलाकर एक पंक्ति में आगे बढ़ रहे थे. गौरतलब है कि दो/तीन जुलाई की दरमियानी रात चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव में माफिया सरगना विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर छत पर खड़े बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी. इस वारदात में एक पुलिस उपाधीक्षक और तीन दरोगा समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे, जबकि सात अन्य जख्मी हो गए थे.