Varanasi: सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर में सोमवार को उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, एकादशी का अद्भुत संयोग

Varanasi: मंदिर परिसर में झांकी दर्शन की व्यवस्था भी की गई है. गंगा घाटों पर भी भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई, हालांकि बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन द्वारा लगातार सतर्कता बरतने की अपील की जा रही है.

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Yashodhan.Sharma
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Varanasi: मंदिर परिसर में झांकी दर्शन की व्यवस्था भी की गई है. गंगा घाटों पर भी भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई, हालांकि बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन द्वारा लगातार सतर्कता बरतने की अपील की जा रही है.

Varanasi: वाराणसी में सावन के दूसरे सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु सुबह से ही कतारों में लगे हुए हैं. दो सर्किल में लंबी लाइनें लगी हैं और हाथों में गंगाजल लिए भक्त 'हर-हर महादेव' के जयकारों के साथ आगे बढ़ते जा रहे हैं.

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इसलिए है ये दिन खास

इस सोमवार का महत्व और भी बढ़ गया क्योंकि इस दिन एक ओर जहां सावन का पावन सोमवार है, वहीं दूसरी ओर एकादशी का व्रत भी है. यानी भगवान शिव और भगवान विष्णु के पूजन का यह दुर्लभ संयोग भक्तों के लिए विशेष आस्था और ऊर्जा का अवसर बना. श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन दोनों देवताओं की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

भक्तों ने लगाई आस्था की डुबकी

काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने भक्तों की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए विशेष प्रबंध किए हैं. चारों प्रवेश द्वार खोल दिए गए हैं. मंदिर परिसर में झांकी दर्शन की व्यवस्था भी की गई है. गंगा घाटों पर भी भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई, हालांकि बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन द्वारा लगातार सतर्कता बरतने की अपील की जा रही है.

सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस, पीएसी और आरएएफ के जवान पूरे क्षेत्र में तैनात हैं. ड्रोन के माध्यम से भी निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो.

कई श्रद्धालुओं ने किए पहली बार दर्शन

प्रयागराज से आए कई श्रद्धालुओं ने पहली बार बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए. भक्तों में गज़ब का उत्साह देखने को मिला. एक भक्त ने बताया कि सावन, सोमवार और एकादशी का संयोग अपने आप में अद्भुत है और बाबा को जल चढ़ाकर वे स्वयं को धन्य मानते हैं.

समर्पण की दिखी जीवंत झलक

स्थानीय लोगों और स्वयंसेवकों ने कांवरियों का विशेष स्वागत किया. कहीं फूल बरसाए गए, तो कहीं उनके चरण धोए गए. इस सेवा भाव ने धार्मिक उत्सव में और भी भावनात्मक रंग भर दिया. इस तरह सावन का दूसरा सोमवार काशी में सिर्फ भक्ति और श्रद्धा का पर्व नहीं रहा, बल्कि सनातन परंपरा और समर्पण की जीवंत झलक भी बन गया.

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