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UP जनसंख्या नियंत्रण नीतिः एक बच्चे पर सौगात, 2 से अधिक पर आफत

जिनके पास दो से अधिक बच्चे होंगे, वे न तो सरकारी नौकरी के लिए योग्य होंगे और न ही कभी चुनाव लड़ पाएंगे.

Updated on: 10 Jul 2021, 10:09 AM

highlights

  • एक या दो बच्चे वाले मां-बाप को अतिरिक्त इंक्रीमेंट
  • दो से अधिक बच्चे वाले लोग नहीं लड़ सकेंगे चुनाव
  • शपथपत्र के बावजूद उल्लंघन पर दंड का प्रावधान

लखनऊ:

अगर आप उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में रहते हैं और आपके एक या दो बच्चे हैं, तो आने वाले दिनों में आपकी बल्ले-बल्ले हो सकती है. सूबे की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) कानून पर फॉर्मूला तैयार कर लिया है. इसके तहत जिनके पास दो से अधिक बच्चे होंगे, वे न तो सरकारी नौकरी के लिए योग्य होंगे और न ही कभी चुनाव लड़ पाएंगे. राज्य विधि आयोग ने सिफारिश की है कि एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता पिता को कई तरह की सुविधाएं दी जाएं. यूपी जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 का ड्राफ्ट तैयार कर विधि आयोग ने अपनी वेबसाइट http://upslc.upsdc.gov.in/ पर अपलोड कर दिया है. इस पर आम जनता से 19 जुलाई तक राय मांगी गई है. 

जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम
अगर सूबे की योगी सरकार इस फॉर्मूले को हरी झंडी दे देती है, तो फिर इसे यूपी में जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम माना जाएगा. राज्य विधि आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल के मार्ग-दर्शन में यह मसौदा तैयार किया गया है. आपत्तियों एवं सुझावों का अध्ययन करने के बाद संशोधित मसौदा तैयार करके राज्य सरकार को सौंपा जाएगा. देश के अन्य राज्यों में लागू कानूनों का अध्ययन करने के बाद यह मसौदा तैयार किया गया है. इसे उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा और यह 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा.

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योगी सरकार जारी कर रही जनसंख्या नीति
विधि आयोग ने यह ड्राफ्ट ऐसे समय में पेश किया है, जब दो दिन बाद योगी सरकार नई जनसंख्या नीति जारी करने जा रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसमें खास तौर पर समुदाय केंद्रित जागरूकता कार्यक्रम अपनाने पर जोर दिया है. हालांकि आयोग का कहना है कि वह कानून का मसौदा स्वप्रेरणा से तैयार कर रहा है. यूपी में सीमित संसाधन व अधिक आबादी के कारण ये कदम उठाने जरूरी हैं. दो ही बच्चों तक सीमित होने पर जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं, उन्हें इंक्रीमेंट, प्रमोशन सहित कई सुविधाएं दी जाएंगी. अगर कानून लागू हुआ तो एक साल के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों और स्थानीय निकायों में चयनित जनप्रतिनिधियों को शपथपत्र देना होगा कि वह इस नीति का उल्लंघन नहीं करेंगे. नियम टूटने पर निर्वाचन रद्द करने का प्रस्ताव है. सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति रोकने व बर्खास्तगी का भी प्रस्ताव इसमें है.

दो से कम बच्चे तो अधिक सुविधाएं
परिवार दो ही बच्चों तक सीमित करने वाले जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उन्हें दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में एंप्लायर कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं दी जाएंगी. दो बच्चों वाले ऐसे दंपती जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं, उन्हें भी पानी, बिजली, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है. वहीं, एक संतान पर स्वैच्छिक नसंबदी करवाने वाले अभिभावकों की संतान को 20 साल तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा, शिक्षण संस्थाओं व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी. सरकारी नौकरी वाले दंपती को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का सुझाव है. अगर दंपती गरीबी रेखा के नीचे हैं और एक संतान के बाद ही स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं, तो उनके बेटे के लिए उसे 80 हजार और बेटी के लिए 1 लाख रुपये एकमुश्त दिए जाने की भी सिफारिश है.

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बहुविवाह पर खास प्रावधान
आयोग ने ड्राफ्ट में धार्मिक या पर्सनल लॉ के तहत एक से अधिक शादियां करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान किए हैं. अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक शादियां करता है और सभी पत्नियों से मिलाकर उसके दो से अधिक बच्चे हैं, तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा. हालांकि हर पत्नी सुविधाओं का लाभ ले सकेगी, वहीं अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिलाकर दो से अधिक बच्चे होने पर उसे भी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. ये सभी प्रस्ताव जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करके नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से तैयार किया गया है. आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया है.