Uttar Pradesh Legislative Council: यूपी विधान परिषद चुनाव में बीजेपी ने चला यह दांव, क्या बदलेगी सियासी तस्वीर?

बीजेपी ने ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्ग के साथ पिछड़ा वर्ग और दलितों को प्रतिनिधित्व करने का मौका देकर जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है.

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Dalchand Kumar
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Swatantra Deo Singh

विधान परिषद चुनाव में बीजेपी ने चला यह दांव, क्या बदलेगी तस्वीर( Photo Credit : फाइल फोटो)

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए अपने 10 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. शनिवार को बीजेपी ने 6 उम्मीदवारों का ऐलान किया तो इससे पहले 4 नामों की घोषणा की थी. मगर सबसे अहम बात यह है कि इस चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन में बीजेपी ने संगठन के साथ जातीय समीकरणों को पूरी तरजीह दी है. बीजेपी ने ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्ग के साथ पिछड़ा वर्ग और दलितों को प्रतिनिधित्व करने का मौका देकर जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है.

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बीजेपी ने अब तक जिन 10 उम्मीदवारों वालों का ऐलान किया हैं, उनमें यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा, पूर्व IAS अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा के अलावा लक्ष्मण आचार्य, कुंवर मानवेंद्र सिंह, बीजेपी के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला, अश्विनी त्यागी, सलिल बिश्नोई, धर्मवीर प्रजापति, सुरेन्द्र चौधरी शामिल हैं. राज्य के मौजूदा समीकरण के हिसाब से इन सभी 10 उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है.

हालांकि नतीजे जो भी आएं, मगर हर वर्ग को मौका देकर बीजेपी ने अगले विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा दांव खेल दिया है. बीजेपी का सबसे ज्यादा जोर पुराने कार्यकर्ताओं को 'एडजस्ट' करने पर है. फिलहाल इसको भी ध्यान में रखकर और जातीगत दृषिकोण को देखते हुए पार्टी ने 10 सीटों पर इन प्रत्याशियों की घोषणा की है. आखिर भारतीय जनता पार्टी ने किस तरह से हर वर्ग का ख्याल रखकर दांव चला है, इसे विस्तार से समझना भी जरूरी है.

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बीजेपी ने सूची में झांसी के कुंवर मानवेंद्र सिंह को जगह दी है, क्षत्रिय बिरादरी से आते हैं. मानवेंद्र विधान परिषद में कार्यकारी सभापति भी रह चुके हैं और विधायक भी रहे हैं. कहा जा रहा है कि कुंवर मानवेंद्र सिंह के रूप में बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं. एक तरह जातीगत समीकरण है तो तो दूसरी तरफ विधान परिषद के सभापति पद पर उम्मीदवार की तलाश भी. क्योंकि मौजूदा सभापति रमेश यादव का कार्यकाल 30 जनवरी को खत्म होने जा रहा है. ऐसे में सदस्य बनने के बाद कुंवर मानवेंद्र को कार्यकारी सभापति बनाने के लिए प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जा सकता है.

बीजेपी ने अपनी सूची में दलित वर्ग से सुरेंद्र चौधरी को मौका दिया है. सुरेंद्र के जरिए पार्टी ने पुराने कार्यकर्ताओं में एक भरोसा बनाए रखने की कोशिश की है, क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. मगर गठबंधन के बाद यही सीट अपना दल के कोटे में चली गई थी. जिस कार सुरेंद्र चौधरी को चुनाव के बीच से ही हटना पड़ा था. अब उन्हें मौका कर बीजेपी ने अपना वादा पूरा किया है.

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उधर, बीजेपी ने पिछड़ा वर्ग से आने वाले डॉ. धर्मवीर प्रजापति को अपना प्रत्याशी बनाया है. धर्मवीर पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं. हालांकि अभी वो माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष हैं. इसके अलावा बीजेपी ने अपने महामंत्रियों गोविंद नारायण शुक्ल, अश्वनी त्यागी के साथ प्रदेश उपाध्यक्ष सलिल विश्नोई को प्रत्याशी बनाकर कार्यकर्ताओं को मौका देने के संगठन के फॉर्म्युले को आगे बढ़ाया है.

Source : News Nation Bureau

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