/newsnation/media/media_files/2025/09/09/yogi-adityanath-2025-09-09-21-09-53.jpg)
सीएम योगी आदित्यनाथ Photograph: (X)
उत्तर प्रदेश की औद्योगिक पहचान बीते कुछ वर्षों में पूरी तरह बदल गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश अब न सिर्फ देश का बल्कि वैश्विक निवेशकों का बड़ा आकर्षण बन रहा है. औद्योगिक विकास विभाग और एमएसएमई ने मिलकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई गति दी है.
निवेश का नया दौर
योगी सरकार ने निवेशकों को सुरक्षित और पारदर्शी माहौल देने के लिए कई बड़े कदम उठाए. भूमि अधिग्रहण से लेकर बिजली की उपलब्धता और कानून-व्यवस्था तक, नीतिगत सुधारों ने कारोबारी विश्वास को मजबूत किया.
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए लाखों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले. डिफेंस कॉरिडोर, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग और औद्योगिक पार्क जैसे प्रोजेक्ट्स ने विकास का नया अध्याय लिखा. तेज क्लीयरेंस सिस्टम और सेक्टर आधारित हब ने निवेश प्रक्रिया को आसान बनाया.
एमएसएमई बना विकास की रीढ़
उत्तर प्रदेश का एमएसएमई सेक्टर देश में सबसे बड़ा है, जिसमें करोड़ों लोगों को रोजगार मिलता है. योगी सरकार ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से जोड़ा. “वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP)” योजना ने कारीगरों और शिल्पकारों को वैश्विक पहचान दी. आसान ऋण सुविधा और वित्तीय सहायता ने लघु उद्योगों की मजबूती बढ़ाई. निर्यात बढ़ाने और मेड इन यूपी ब्रांड को स्थापित करने पर खास ध्यान दिया गया।
रोजगार और पलायन पर असर
औद्योगिक विकास और एमएसएमई योजनाओं से प्रदेश में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए. लाखों युवाओं को अपने ही जिले में काम मिला और पलायन पर रोक लगी। स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन और महिला उद्यमियों के लिए विशेष योजनाएं चलाई गईं. स्वरोजगार मिशन से गांव-गांव में उद्यमिता की नई शुरुआत हुई.
भविष्य की तैयारी
सरकार का लक्ष्य उत्तर प्रदेश को आने वाले वर्षों में एशिया का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र बनाने का है. ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन और डिजिटल विनिर्माण पर विशेष फोकस किया जा रहा है. औद्योगिक विकास विभाग और एमएसएमई की संयुक्त पहल ने साबित किया है कि उत्तर प्रदेश अब एक मजबूत औद्योगिक शक्ति के रूप में उभर रहा है.
ये भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश में पशुधन विकास पर जोर, गौ संरक्षण को मिली प्राथमिकता