Lucknow: उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती में जिन शिक्षकों का चयन हुआ है ये खबर उनके लिए बेहद जरूरी है. रिपोर्ट के मुताबिक सामने आया है कि ऐसे टीचर जिन्होंने आवेदन की निर्धारित अंतिम तिथि के बाद शैक्षिक योग्यता के प्रमाणपत्र लगाए थे उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है. बेसिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को निर्देश दिए हैं कि ऐसे शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा जाए और जवाब संतोषजनक न मिलने पर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएं.
इन लोगों पर गिरेगी गाज
बता दें कि इस शिक्षक भर्ती के लिए 1 दिसंबर 2018 को अधिसूचना जारी हुई थी और आवेदन की अंतिम तिथि 22 दिसंबर 2018 तय की गई थी. आरोप है कि कई अभ्यर्थियों ने इस अंतिम तिथि के बाद अपनी आवश्यक शैक्षिक डिग्री और प्रमाणपत्र अपलोड किए और इसके बावजूद उन्हें नियुक्ति दे दी गई. इसको लेकर कई अभ्यर्थियों ने आपत्ति दर्ज कराई थी.
आवेदन की अंतिम तिथि अहम
मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी भर्ती में आवेदन की अंतिम तारीख तक सभी अनिवार्य योग्यता और दस्तावेज पूरे होने चाहिए. कोर्ट के निर्देश के बाद अब ऐसे सभी मामलों की जांच की जा रही है. सभी बीएसए को ऐसे शिक्षकों से जवाब तलब करने और जरूरत पड़ने पर सेवा समाप्त करने के आदेश दिए गए हैं.
चयन लापरवाही पड़ेगी भारी
बेसिक शिक्षा निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों और चयन समिति के सदस्यों की भी जवाबदेही तय की जाएगी. शासन ने सभी जिलों से ऐसे अधिकारियों और तत्कालीन बीएसए की जानकारी मांगी है ताकि उनके खिलाफ भी आवश्यक कार्रवाई की जा सके.
पुराना मामला फिर चर्चा में
बता दें कि 69 हजार शिक्षक भर्ती को लेकर पहले ही कई विवाद सामने आ चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में इस भर्ती में नई मेरिट लिस्ट जारी करने पर रोक लगाई थी. भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत 2018 में हुई थी और तब से यह मामला कोर्ट में लंबित है. अब ताजा निर्देशों के बाद एक बार फिर यह भर्ती प्रक्रिया सुर्खियों में है. फिलहाल, जो अभ्यर्थी इस भर्ती में शामिल हुए थे, उन्हें सलाह दी जा रही है कि वे एक बार अपने दस्तावेजों की दोबारा जांच कर लें, कहीं आवेदन की अंतिम तिथि के बाद योग्यता प्राप्त तो नहीं की थी, वरना उनकी नौकरी भी जा सकती है.
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