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UP News:उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है. पारा थाना क्षेत्र के दोदा खेड़ा जलालपुर इलाके में रहने वाली दो सगी बहनों ने फिनाइल पीकर आत्महत्या कर ली. मृतक बहनों की पहचान 24 वर्षीय राधा सिंह और 22 वर्षीय जिया सिंह के रूप में हुई है. इस घटना से पूरा परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा इलाका सदमे में है.
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, दोनों बहनें ग्रेजुएट थीं और अपने परिवार के साथ रहती थीं. उनके घर में जर्मन शेफर्ड नस्ल का एक पालतू कुत्ता था, जिसका नाम ‘टोनी’ था. टोनी पिछले करीब एक महीने से गंभीर बीमारी से जूझ रहा था. परिवार उसका लगातार इलाज करा रहा था, लेकिन उसकी हालत में कोई खास सुधार नहीं हो रहा था. राधा और जिया का टोनी से बेहद गहरा भावनात्मक लगाव था. परिजनों और पड़ोसियों के मुताबिक, अगर टोनी खाना नहीं खाता था तो दोनों बहनें भी खाना छोड़ देती थीं.
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टोनी की तबीयत लगातार बिगड़ने से दोनों बहनें मानसिक रूप से टूट गई थीं और गहरे तनाव में रहने लगी थीं. बुधवार (24 दिसंबर) सुबह करीब 11 बजे उनकी मां गुलाबा देवी ने दोनों बेटियों को दुकान से सामान लाने भेजा था. दुकान से लौटने के बाद दोनों बहनें घर में कराहने लगीं. मां के पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने फिनाइल पी लिया है. यह सुनते ही घर में अफरा-तफरी मच गई. मां ने तुरंत बड़े बेटे वीर सिंह को फोन किया. वीर आनन-फानन में घर पहुंचा और दोनों बहनों को रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल लेकर गया. वहां डॉक्टरों ने बड़ी बहन राधा को मृत घोषित कर दिया, जबकि जिया को गंभीर हालत में हायर सेंटर रेफर किया गया. इलाज के दौरान जिया ने भी दम तोड़ दिया.
यूपी की राजधानी लखनऊ से एक बेहद हैरान वाली खबर सामने आई है। यहां 24 और 22 साल की दो सगी बहनों ने अपने पालतू डॉग के लिए जान दे दी। डॉग 1 महीने से बीमार है। उसकी लगातार दवा चल रही थी, लेकिन कुछ सुधार नहीं हो रहा था।
— Devanshu Mani Tripathi (@devanshu_mani) December 25, 2025
डॉग की तबीयत सही नहीं हो रही है। राधा और जिया को आशंका थी कि डॉग… pic.twitter.com/kQzWXhp0AC
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
परिवार पहले से ही मुश्किल दौर से गुजर रहा था. पिता कैलाश सिंह (65) लंबे समय से बीमार हैं और बिस्तर पर हैं. करीब सात साल पहले परिवार ने छोटे बेटे को ब्रेन हेमरेज के कारण खो दिया था. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और शवों का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया है. यह घटना मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सहारे की जरूरत को एक बार फिर उजागर करती है.
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