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सीएम योगी आदित्यनाथ Photograph: (ANI)
UP News: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन के दौरान घोषणा की कि अब जिले के मुस्तफाबाद गांव को ‘कबीरधाम’ के नाम से जाना जाएगा. मंच से जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह बदलाव गौरव की पुनर्स्थापना और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण के लिए आवश्यक है.
नाम बदलने का कारण और मुख्यमंत्री का बयान
सीएम योगी ने सभा में कहा, “मैं जब यहां आया और गांव के बारे में पूछा तो बताया गया कि गांव का नाम मुस्तफाबाद है. मैंने पूछा कि यहां कितनी मुस्लिम आबादी है, तो पता चला कि एक भी मुस्लिम नहीं है. फिर यह नाम क्यों रखा गया?” उन्होंने आगे कहा, “हमने निर्णय लिया कि अब यह गांव मुस्तफाबाद नहीं, बल्कि कबीरधाम कहलाएगा. हम प्रस्ताव मंगवाकर इसे आधिकारिक रूप से लागू करेंगे.”
योगी ने कहा कि उनकी सरकार देश की प्राचीन और आध्यात्मिक पहचान को पुनर्जीवित करने के लिए काम कर रही है. “जिन्होंने अयोध्या को फैजाबाद और प्रयागराज को इलाहाबाद किया था, वही लोग हमारी सांस्कृतिक जड़ों को कमजोर करना चाहते थे. अब हमारी सरकार इन स्थलों का गौरव फिर से लौटा रही है.”
हमने कहा कि अब यह नाम बदलना चाहिए,
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 27, 2025
मुस्तफाबाद नहीं, कबीरधाम इसका नाम रख दो... pic.twitter.com/aXeU61Mde6
“पाखंड से मुक्ति जरूरी है”- सीएम योगी
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि अब समय आ गया है जब समाज को “सेकुलरिज़्म के नाम पर किए जा रहे पाखंड” से मुक्त होना चाहिए. उन्होंने कहा, “किसी की पहचान को मिटा देना पाप है. लखीमपुर खीरी प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में से एक है और यहां के नाम तक को बदलने की साजिश रची गई थी. यह सेकुलर नहीं, बल्कि पाखंड है और इस पाखंड से मुक्ति आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है.”
तीर्थस्थलों के विकास पर जोर
सीएम योगी ने कहा कि सरकार हर धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल को सुंदर और सुलभ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि श्रद्धालुओं को अतिथि गृह, विश्रामालय और आधुनिक सुविधाएं मिलें. पर्यटन और संस्कृति विभाग के माध्यम से हम हर तीर्थस्थल को विकसित कर रहे हैं चाहे वह काशी, अयोध्या, मथुरा, कुशीनगर, नैमिषारण्य या गोवर्धन क्यों न हो.”
मुस्तफाबाद का कबीरधाम बनना सिर्फ नाम बदलने की कवायद नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है. सीएम योगी की यह घोषणा न केवल यूपी की राजनीति में नया संदेश देती है, बल्कि प्रदेश की धार्मिक पहचान को फिर से स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.
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