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Auraiya desi ghee production Photograph: (Wikimedia)
UP News: उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और इसके हर जिले की अपनी एक अलग पहचान व विशेषता है. यह पहचान कभी खान-पान से जुड़ी होती है, कभी पारंपरिक रहन-सहन से, तो कभी किसी खास उद्योग, खेती या ऐतिहासिक धरोहर से. इस विविधता को देखते हुए प्रदेश के कई जिलों को उनके अनूठे उत्पादों के आधार पर जाना जाता है. किसी जिले की पहचान वहां की किसी विशेष कला, हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद या घरेलू उद्योग पर आधारित होती है, जो वर्षों से वहां की परंपरा और आजीविका का हिस्सा बने हुए हैं.
एक जिला एक उत्पाद योजना
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में 'एक जिला एक उत्पाद' (ODOP) योजना की शुरुआत की. इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के प्रत्येक जिले में मौजूद किसी एक विशेष पारंपरिक उत्पाद को चिन्हित करके उसका संरक्षण, प्रोत्साहन और व्यापक बाजार उपलब्ध कराना है. इससे न केवल स्थानीय कारीगरों व किसानों को रोजगार मिलता है, बल्कि उनकी पारंपरिक कला को भी नई पहचान मिलती है. योजना के तहत प्रदेश के 75 जिलों के प्रमुख उत्पाद तय किए गए हैं, जिन पर ध्यान केंद्रित करके प्रशिक्षण, विपणन और उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है.
उत्पाद से बनती है शहर की पहचान
फिरोजाबाद को 'कांच नगरी' इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहां की कांच उद्योग की देश-विदेश में मांग है. इसी तरह मेरठ अपने उच्च गुणवत्ता वाले स्पोर्ट्स गुड्स के लिए प्रसिद्ध है. कई जिलों की यह विशिष्ट पहचान उन्हें पूरे देश में अलग महत्व दिलाती है. उसी तरह उत्तर प्रदेश का एक जिला ऐसा भी है जिसे “देसी घी का शहर” कहा जाता है.
कहां होता है सबसे ज्यादा देसी घी का उत्पादन?
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश का औरैया जिला पशुपालन के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है और यहां सबसे अधिक मात्रा में देसी घी का उत्पादन होता है. औरैया का घी अपने बेहतरीन स्वाद, सुगंध और शुद्धता के लिए पूरे देश में जाना जाता है. यहां आज भी पारंपरिक विधि से घी तैयार किया जाता है. पहले दही मटकी में जमाया जाता है, फिर लकड़ी के बिलोने से उसमें से मक्खन निकाला जाता है और अंत में उसे आग पर पकाकर शुद्ध देसी घी तैयार किया जाता है. इस प्रकार, उत्तर प्रदेश के जिले न केवल सांस्कृतिक विविधता दर्शाते हैं, बल्कि अपने अनूठे उत्पादों से राज्य की आर्थिक पहचान भी मजबूत करते हैं.
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