गजब है यूपी पुलिस, कक्षा एक में पढ़ने वाले बच्चे को ही भेज दिया शांति भंग का नोटिस

UP News: कोर्ट ने 10 अक्टूबर 2025 को नोटिस जारी करते हुए बच्चे को 30 अक्टूबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया और एक साल के लिए एक लाख रुपये के मुचलके की शर्त रखी.

UP News: कोर्ट ने 10 अक्टूबर 2025 को नोटिस जारी करते हुए बच्चे को 30 अक्टूबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया और एक साल के लिए एक लाख रुपये के मुचलके की शर्त रखी.

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Yashodhan.Sharma
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UP Police

सांकेतिक तस्वीर Photograph: (Social)

UP News: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले से पुलिस की बड़ी लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां क्वार्सी थाना क्षेत्र में पुलिस ने गलती से एक पहली क्लास में पढ़ने वाले बच्चे को शांति भंग के आरोप में तलबी नोटिस भेज दिया.यह नोटिस 30 अक्टूबर को न्यायालय में हाजिर होने के संबंध में जारी किया गया था, जिसे देखकर परिजनों के होश उड़ गए. हालांकि, अब पुलिस ने अपनी गलती मान ली है और संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

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ये है पूरा मामला

मामला अलीगढ़ के राजीव नगर इलाके का है. यहां रहने वाले डॉक्टर हितेश चौहान के पड़ोसी सुल्तान सिंह ने IGRS पोर्टल (सरकारी शिकायत प्रणाली) पर शिकायत दर्ज कराई थी कि डॉक्टर हितेश ने अपने घर का दरवाजा उनके घर की ओर खोल दिया है, जिससे उन्हें परेशानी हो रही है. शिकायत मिलने पर हल्का चौकी प्रभारी जांच के लिए मौके पर पहुंचे. उन्होंने हितेश से मकान के कागजात मांगे, लेकिन डॉक्टर ने मना कर दिया और कहा कि दरवाजे को लेकर विवाद में कागजात की जरूरत नहीं है.

इस तरह हुई गलती

इसी दौरान दारोगा ने दोनों पक्षों के सभी सदस्यों के नाम, पता और उम्र नोट किए. रिपोर्ट तैयार करते वक्त लापरवाही से हितेश के छह वर्षीय बेटे की उम्र 40 साल दर्ज कर दी गई. परिणामस्वरूप पुलिस रिपोर्ट के आधार पर एसीएम कोर्ट ने बच्चे को भी शांति भंग की आशंका में पाबंद करने का आदेश जारी कर दिया. कोर्ट ने 10 अक्टूबर 2025 को नोटिस जारी करते हुए बच्चे को 30 अक्टूबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया और एक साल के लिए एक लाख रुपये के मुचलके की शर्त रखी.

नोटिस ने खड़ी की परेशानी

जब नोटिस घर पहुंचा तो परिवार हैरान रह गया. उन्होंने तुरंत इसकी शिकायत अधिकारियों से की. जांच में पता चला कि उम्र गलत दर्ज होने से यह गलती हुई है. सीओ प्रथम सर्वम सिंह ने बताया कि यह पूरी तरह से दारोगा स्तर की लापरवाही है. गलत उम्र लिखे जाने से बच्चे के खिलाफ नोटिस चला गया. अब दारोगा के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी गई है और बच्चे के नाम जारी नोटिस को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

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