UP ATS ने CAA के विरोध में दंगा करने वाले PFI सदस्य को जयपुर में पकड़ा

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में कई स्थानों पर हिंसा की घटनाएं हुई थी. पुलिस ने इस हिंसक प्रदर्शन में शामिल लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था.

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में कई स्थानों पर हिंसा की घटनाएं हुई थी. पुलिस ने इस हिंसक प्रदर्शन में शामिल लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था.

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Shailendra Kumar
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पीएफआई( Photo Credit : फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश के आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) ने पिछले साल गाजियाबाद में सीएए (CAA) विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा में शामिल होने का आरोपी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक सदस्य को शनिवार को जयपुर से गिरफ्तार किया है. एटीएस (ATS) ने गाजियाबाद जिले के कलचीना गांव निवासी परवेज अहमद को राजस्थान के जयपुर से गिरफ्तार किया. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) कलानिधि नैथानी ने बताया कि संशोधित नागरिकता अधिनियम (CAA) का विरोध कर रहे कई उपद्रवियों ने पिछले साल दिसंबर में मुरादनगर शहर के कोट मोहल्ले में अपने घरों की छत से पुलिस फोर्स पर पथराव किया था. उन्होंने कहा कि इस संबंध में 20 दिसंबर को एक मामला दर्ज किया गया था. इसी मामले के तहत परवेज अहमद की तलाश हो रही थी. जिसको जयपुर से पकड़ा गया है.

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दंगा करने वालों पर पुलिस ने दर्ज किया था केस

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में कई स्थानों पर हिंसा की घटनाएं हुई थी. पुलिस ने इस हिंसक प्रदर्शन में शामिल लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था. पुलिस ने जांच कर रही थी. साथ ही आरोपियों की लगातार तलाश कर रही थी. बता दें कि सीएए के विरोध को लेकर दिसंबर 2019 में हुई हिंसा की घटनाओं में पुलिस ने लखनऊ, मऊ, कानपुर नगर, अलीगढ़, मेरठ, बरेली, झांसी, अंबेडकरनगर, फतेहपुर, बाराबंकी गाजियाबाद समेत कई जिलों में मुकदमे दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी.

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नागरिकता संशोधन कानून को जानिए
बता दें कि केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन कर कुछ नए प्रवाधान किए थे. जिसके लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था. तो चलिए जान लेते है कि आखिर नागरिकता संशोधन कानून (Citizen Amendment Act) क्या है. क्यों लोगों ने हिंसक प्रदर्शन किए थे. दरअसल, यह कानून किसी को भी नागरिकता से वंचित नहीं करता न ही यह किसी को नागरिकता देता है. यह केवल उन लोगों की श्रेणी को संशोधित करता है, जो (नागरिकता के लिए) आवेदन कर सकते हैं. यह ऐसा उन्हें (आवेदन करने वालों को) अवैध प्रवासी की परिभाषा से छूट देकर करता है- कोई भी व्यक्ति जो कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय से संबंधित है और अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से है, जो कि भारत में 31 दिसंबर, 2014 को या इससे पहले प्रवेश कर गया है और जिसे केंद्र सरकार के द्वारा या पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 की धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (स) या विदेशी अधिनियम, 1946 के प्रावधानों के आवेदन या उसके अंतर्गत किसी नियम या आदेश के तहत छूट दी गई हो.

Source : News Nation Bureau

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