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UP Assembly Election: योगी को हराने के लिए कॉन्ग्रेस गठबंधन करने को तैयार

कांग्रेस अपने संगठन को मजबूती से खड़ा करेगी लेकिन योगी सरकार को हराने के लिए कॉन्ग्रेस 'ओपन माइंडेड' है

Updated on: 19 Jul 2021, 12:32 AM

highlights

  • प्रियंका गांधी लखनऊ दौरे में आखरी दिन गठबंधन बम फोड़ दिया
  • योगी सरकार को हराने के लिए कॉन्ग्रेस ( Congress ) 'ओपन माइंडेड' 
  • यूपी में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस किसी के साथ गठबंध के मूड में

लखनऊ:

प्रियंका गांधी अपने 3 दिन के लखनऊ दौरे में आखरी दिन गठबंधन बम फोड़ दिया. पत्रकारों से एक अनौपचारिक मुलाकात में यह  मन की बात खोल दी कि, वैसे तो इस कम समय में कांग्रेस अपने संगठन को मजबूती से खड़ा करेगी लेकिन योगी सरकार को हराने के लिए कॉन्ग्रेस 'ओपन माइंडेड' है. यूपी में किसी के साथ भी गठबंधन किया जा सकता है बीजेपी को हराने के लिए. आपको बता दें प्रियंका 16 तारीख से लखनऊ में आ गई थीं और पहले ही दिन उन्होंने गांधी प्रतिमा पर 2 घंटे का मौन व्रत धारण किया था. अगले दिन वह लखीमपुर खीरी पहुंच कर पंचायत चुनाव के दौरान महिला के साथ हुई बदसलूकी पर उस महिला से जाकर मिली थी और अंतिम दिन पत्रकारों के अनौपचारिक मुलाकात में  गठबंधन के राज को उन्होंने खोल दिया.

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कांग्रेस में इस बात पर चर्चा है यह पत्ते अभी नहीं खोलना चाहिए था. कांग्रेस का कोई नेता इस पर नहीं बोल रहा है लेकिन नाम ना बताने की स्थिति में कांग्रेस नेताओं का कहना है चुनाव में यह सभी बातें अंतिम समय पर कहीं जाती हैं, अभी पार्टी का मनोबल कार्यकर्ताओं का, मनोबल बढ़ाने के लिए संगठन के मजबूत करने पर ही जवाब देना चाहिए था. लेकिन प्रियंका के इशारे ने साफ कर दिया है कि अब विपक्ष में कोई एक बड़ा गठबंधन होगा और भारतीय जनता पार्टी को विपक्ष के तौर पर एक गठबंधन विपक्ष देखने को भी मिल सकता है.

                                         

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कांग्रेस सत्ता से लगभग 32 साल दूर रही है और अगर यूपी कांग्रेस की गठबंधन के इतिहास को जोड़कर देखें तो सबसे पहले इसने 1996 में बीएसपी के साथ गठबंधन किया था. इसे गठबंधन में 135 सीटें मिली थी और कॉन्ग्रेस 31 सीटों पर ही जीत पाई थी. 2012 के विधानसभा में अकेले चुनाव लड़ी और 29 सीटें जीती थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ी और सिर्फ अमेठी और रायबरेली अपने घर को ही बचा पाई. 2017 में सपा के साथ गठबंधन किया और 125 सीटें गठबंधन में इसे मिली जिसमें से 7 सीटों पर जीती. 2019 में छोटे दलों के साथ गठबंधन किया था जिसमें बाबू सिंह कुशवाहा अपना दल कृष्णा पटेल इस तरह की  छोटी पार्टियां शामिल थी सिर्फ एक लोक सभा सीट रायबरेली ही जीत पाई .

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राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को गठबंधन की राजनीति और गठबंधन का चुनाव कभी भी फायदे का नहीं रहता. राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते गठबंधन में जाते ही संगठन कमजोर हो जाता है. ब्लॉक और बूथ स्तर के संगठन जो सबसे अंतिम इकाई होती हैं वह छिन्न-भिन्न हो जाती हैं. राष्ट्रीय पार्टी संगठन ना रहने पर  क्षेत्रीय पार्टियों के सहारे ही चलती है. यूपी में कांग्रेस का यही हाल गठबंधन के जाने पर देखा गया है. अब देखना यह है कि चुनाव 2022 के  महासंग्राम में कांग्रेस किस पार्टी के साथ यह गठबंधन करती है?