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गोरखपुर सीट पर 33 साल से फहरा रही भगवा पताका, नहीं निकला कांग्रेस का सूरज

वर्ष 1989 में गोरखपुर सीट से कांग्रेस का सूरज डूब गया था, जिसके बाद से कांग्रेसो को इस सीट से जीत नसीब नहीं हुई. इस सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की तो बोहनी तक नहीं हुई.

Updated on: 25 Jan 2022, 01:26 PM

highlights

1989 के बाद से कांग्रेसो को नहीं मिली है जीत
इस सीट पर 1952 में हुआ था पहली बार चुनाव
इस सीट पर अब तक 17 बार हो चुके हैं विधानसभा चुनाव

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा (UP assembly polls) चुनाव देश में सभी के लिए हॉट सीट गोरखपुर माना जा रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि यह सीट हमेशा से योगी आदित्यनाथ का गढ़ रहा है. इस बार सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने यहां से विधानसभा उम्‍मीदवार बनाया है. विधानसभा का यह क्षेत्र गोरखपुर की उस संसदीय सीट में आता है जहां से योगी पांच बार लगातार सांसद रह चुके हैं. योगी जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं, वह जगह भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आती है. ऐसा बहुत पहले से कहा जाता है कि गोरखपुर में हर धर्म के व्‍यक्ति सीएम योगी को पसंद करते हैं और योगी भी बिना धार्मिक भेदभाव के लोगों की मदद करते हैं. यह सीट बीजेपी के लिए अभेद्य किले की तरह है, जहां लगातार 33 साल तक विजय पताका फहराती आ रही है.

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वर्ष 1989 के बाद नहीं मिली है कांग्रेस को जीत
वर्ष 1989 में गोरखपुर सीट से कांग्रेस का सूरज डूब गया था, जिसके बाद से कांग्रेसो को इस सीट से जीत नसीब नहीं हुई. इस सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की तो बोहनी तक नहीं हुई. गोरखपुर सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था. तब से अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हुए जिसमें 10 बार जनसभा, हिंदू महासभा और भाजपा के परचम लहराए. इस सीट से कांग्रेस को छह बार जीत मिली है, लेकिन पिछले तीन दशक से कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का तो कभी खाता भी नहीं खुला. गोरखपुर सीट पर अंतिम 33 वर्षों में कुल आठ चुनाव हुए जिसमें सात बार भाजपा और एक बार हिंदू महासभा के उम्मीदवार को योगी आदित्यनाथ के समर्थन से जीत मिली थी. वर्ष 2002 में डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल अखिल भारतीय हिंदू महासभा की बैनर तले चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे.

सीएम योगी का शुरू से रहा है दबदबा

मुख्यमंत्री योगी गोरखपुर सदर सीट से 1998 से वर्ष 2017 तक सांसद रहे. वह सब से पहले 1998 में यहां से भाजपा प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव लड़े थे. उस चुनाव में वे बहुत कम अंतर से जीत दर्ज किया गया था,  लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़ता गया. वह 1999, 2004, 2009 और 2014 में सांसद चुने गए. उनके आखिरी दो चुनावों के आंकड़ों की पड़ताल करें तो 2009 के संसदीय चुनाव में उन्हें गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से कुल पड़े 122983 मतों में से 77438 वोट मिले जबकि दूसरे स्थान पर रहे बसपा के विनय शंकर तिवारी को सिर्फ 25352 वोट. उस समय यहां सपा को महज 11521 मत हासिल हुए थे।वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में तो योगी को मिले वोटों का ग्राफ और बढ़ गया. 2014 के संसदीय चुनाव में गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से कुल पोल हुए 206155 वोटों में से अकेले 133892 वोट मिले. दूसरे स्थान पर रहीं सपा की राजमती निषाद को 31055 और बसपा के रामभुआल निषाद को 20479 वोट ही हासिल हो सके.