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देश में डॉक्टर्स की मौतों को लेकर सरकारों की अनदेखी दुखद- मायावती

मायावती ने आरोप लगाया है कि कोरोना योद्धाओं के रूप में सम्मानित डॉक्टर्स की मौत के संबंध में सरकारें अनदेशी कर रही हैं. बसपा अध्यक्ष ने यूपी पंचायत चुनाव में शिक्षकों की मौत को लेकर भी सरकार पर सवाल उठाए हैं.

Updated on: 19 May 2021, 03:09 PM

लखनऊ:

कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान डॉक्टर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और महामारी की दूसरी लहर के दौरान अब तक सैंकड़ों डॉक्टरों की जान भी जा चुकी है. इसको लेकर बहुजन समाज पार्टी मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने दुख जताया है. इसके साथ ही मायावती ने आरोप लगाया है कि कोरोना योद्धाओं के रूप में सम्मानित डॉक्टर्स की मौत के संबंध में सरकारें अनदेशी कर रही हैं. बसपा अध्यक्ष ने यूपी पंचायत चुनाव में शिक्षकों की मौत को लेकर भी सरकार पर सवाल उठाए हैं.

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मायावती ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘देश भर में कोरोना योद्धाओं के रूप में सम्मानित खासकर डाक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की सेवाकाल के दौरान हो रही बीमारी व मृत्यु आदि के सम्बंध में सरकारों की घोर अनदेखी व उपेक्षा की खबरें अति-दुखद. उनकी सुरक्षा आदि के बारे में सरकारों को पूरी तरह से गंभीर होने की सख्त जरूरत.’

उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘इसी प्रकार, यूपी में पंचायत चुनाव की ड्यूटी निभाने वाले शिक्षकों व अन्य सरकारी कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत की शिकायतें आम हो रही हैं, लेकिन इनकी सही जांच न होने के कारण इन्हें उचित सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है, जो घोर अनुचित. सरकार इस पर तुरन्त ध्यान दे.’

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दरअसल, महामारी की दूसरी लहर के दौरान 269 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है. इनमें पद्मश्री से सम्मानित और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष केके अग्रवाल भी शामिल हैं. आईएमए के अनुसार, कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान कुल 269 डॉक्टरों की जान चली गई है. इन डॉक्टरों में ज्यादातर की उम्र 30 से 55 साल के बीच थी. आईएमए के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में संक्रमण से मरने वाले डॉक्टरों की संख्या सबसे ज्यादा दर्ज की गई. बिहार में अब तक कुल 78 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है.