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कानपुर हत्याकांड का वांटेड और विकास दुबे का सहयोगी शिवम दुबे STF के हत्थे चढ़ा

हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि उसकी गिरफ्तारी हरदोई जिले से हुई है. शिवम दुबे अपनी मौसी के घर में पुलिस के डर से छिपा बैठा था. पुलिस ने उसके मौसा-मौसी के मोबाइल फोन आदि भी जब्त कर लिए हैं.

Updated on: 24 Jul 2020, 12:01 AM

नई दिल्‍ली:

कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई की रात हुए नरसंहार में विकास दुबे गैंग के बदमाशों की पुलिस टीम से मुठभेड़ हो गई थी. इस जघन्य हत्याकांड में यूपी पुलिस के आठ जवान शहीद हो गए थे. इस हत्याकांड में वांछित अपराधी व दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के चचेरे भाई शिवम दुबे को एसटीएफ टीम ने गिरफ्तार कर लिया है. एसटीएफ टीम ने शिवम दुबे की गिरफ्तारी के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि 25 हजार रुपये के इनामी शिवम को चौबेपुर में ही पकड़ा गया है. हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि उसकी गिरफ्तारी हरदोई जिले से हुई है. शिवम दुबे अपनी मौसी के घर में पुलिस के डर से छिपा बैठा था. पुलिस ने उसके मौसा-मौसी के मोबाइल फोन आदि भी जब्त कर लिए हैं.

आपको बता दें कि कानपुर के बिकरू कांड के अगले दिन यानि की तीन जुलाई की सुबह ही पुलिस ने विकास दुबे के चचेरे भाई अतुल दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया था. इस हत्याकांड में अतुल का सगा भाई यानी विकास दुबे का चचेरा भाई शिवम दुबे उर्फ दलाल भी नामजद था, जो 3 जुलाई की वारदात के बाद से ही फरार हो गया था. पुलिस ने शिवम दुबे पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था. शिवम दुबे की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू कर दी है. पुलिस के मुताबिक 2 जुलाई की रात में हुए हत्याकांड की रात शिवम दुबे भी पुलिस से मोर्चा लेने में शामिल था. पुलिस एनकाउंटर के दौरान शिवम दुबे भी पुलिसकर्मियों पर गोलियां चला रहा था. अब गिरफ्तारी के बाद पुलिस उससे पूछताछ करके जरिये अन्य फरार आरोपियों तक पहुंचने के प्रयास किया जा रहा है.

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याचिकाकर्ता की ओर से पेश किए गए वकीलों ने उठाए सवाल
वहीं इसके पहले यूपी सरकार ने अपनी ओर से गठित न्यायिक आयोग में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएस चौहान और प्रदेश के पूर्व डीजीपी के एल गुप्ता को शामिल करने का सुझाव दिया है. पिछ्ली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से गठित आयोग में एक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और पूर्व पुलिस अधिकारी को जोड़ने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकीलों ने कई सवाल उठाए. मसलन यूपी सरकार की तरफ से कमीशन के सदस्यों के नाम तय किए जाने पर एतराज जताया. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मैंने जस्टिस चौहान के साथ काम किया है. शायद मैं भी अपनी तरफ से उनका ही नाम सुझाता. इसके अलावा वकील घनश्याम उपाध्याय ने आयोग का दफ्तर दिल्ली में रखने की मांग की. कोर्ट ने कहा कि मामला कानपुर का है. कोर्ट ने जांच की निगरानी करने की मांग भी ठुकराई. कोर्ट ने कहा कि आयोग वहीं से काम करेगा.

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जरूरी हुआ तो CBI या NIA का भी लेंगे सहयोग
कोर्ट ने साफ़ किया कि इस आयोग के चलते 2-3 जुलाई को मुठभेड़ में मारे गए पुलिसकर्मियों को लेकर चल रहे ट्रायल पर कोई असर नहीं पड़ेगा.  केन्द्र सरकार आयोग को ज़रूरी सहयोग देगी. सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा अगर ज़रूरत पड़ी तो सीबीआई या एनआईए का भी सहयोग लिया जाएगा.