मोदी और योगी की सरकार अम्बानी अडानी समूह के पेरोल पर: रामगोविंद चौधरी
रामगोविंद चौधरी ने नए कृषि बिल को लेकर पीएम मोदी और सीएम योगी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि मोदी और योगी की सरकार अंबानी और अडानी समूह और इनके जैसे कुछ अन्य कारपोरेट समूहों के पेरोल पर है.
बलिया:
समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी ने नए कृषि बिल को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि मोदी और योगी की सरकार अंबानी और अडानी समूह और इनके जैसे कुछ अन्य कारपोरेट समूहों के पेरोल पर है. खेती, बारी और किसानी को इन समूहों के हाथ में पूरी तरह सौंप देने के लिए ही ये तीनों कृषि कानून लाए गए हैं. इसे लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं है. इसलिए इन कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा के रूप में हासिल करने तक किसान संघर्ष जारी रहेगा.
उन्होंने कहा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का हर सदस्य अपनी आखिरी सांस तक इस संघर्ष में किसानों के साथ संघर्ष करेगा.
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मंगलवार को बांसडीह विधानसभा क्षेत्र के ब्लाक, ग्राम बेरुआर बारी में आयोजित किसान घेरा चौपाल को सम्बोधित करते हुए रामगोविंद चौधरी ने कहा कि किसान संगठनों ने मंगल की भावना के साथ सरकार से बातचीत के लिए मंगलवार 29 दिसम्बर के दिन का चयन किया था. सरकार की नीयत ठीक नहीं है, इसलिए उसने मंगल का दिन स्वीकार करने की जगह बातचीत के लिए बुधवार के दिन का निमंत्रण भेजा है.
उन्होंने कहा है कि किसानों ने अपने प्रस्ताव में साफ साफ कहा है कि बातचीत का मुद्दा होगा, तीनों कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा. पेरोल पर होने के कारण सरकार ने यह भी लिखने की हिम्मत नहीं जुटायी की कि 30 दिसम्बर बुधवार को बातचीत का मुद्दा तीनों कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देना है.
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रामगोविंद चौधरी ने कहा है कि कौन नहीं जानता है कि सरकारों की मिलीभगत से कारपोरेट समूहों ने बैंकों की बड़ी पूंजी को दबा रखा है. सरकारों की कृपा से कुछ बैंकों को लूटकर विदेश में जश्न मना रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी को चन्दा दिए जाने के इनके चेक की फोटोकॉपी सोशल मीडिया में नाच रही है. इनकी वजह से भारत की बैंकिग व्यवस्था लड़खड़ा गई है.
उन्होंने कहा कि सरकार इन देश लुटेरों को जेल में डालने की जगह खेती, बारी और किसानी को बचाने के आंदोलन में शामिल लोगों की सूची बना रही है. सरकार अब बैंकों की पूंजी की तरह देश की खेती, बारी और किसानी को भी कारपोरेट समूहों के हाथ में सौंप देने पर आमादा है. ये तीनों कृषि कानून इसी नीयत से लाए गए हैं. इसे लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं है.
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