राम मंदिर की जमीन में विवादः 2 करोड़ की जमीन 18.5 करोड़ की कैसे हुई ?
संजय सिंह ने सीधे-सीधे कहा है कि लाखों लोगों ने करोड़ों रुपए का मंदिर के नाम पर चन्दा दिया और उसमें घोटाला किया गया है. आप सांसद संजय सिंह के आरोपों का समाजवादी पार्टी में मंत्री रहे तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे (Pawan Pandey) ने समर्थन किया है.
highlights
- मंदिर की जमीन खरीद में घोटाले का आरोप
- AAP-सपा नेता ने लगाए घोटाले के आरोप
- इस पूरे विवाद में अहम हैं 3 किरदार
नई दिल्ली:
यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) होना है. विधानसभा चुनाव से पहले ही राम मंदिर (Ram Mandir) का मुद्दा एक बार फिर से गरमा गया है. इस बार मामला राम मंदिर के निर्माण का नहीं है, बल्कि उससे जुड़ी जमीन की खरीद का है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा संसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने राम मंदिर ट्रस्ट (Ram Mandir Trust) पर बड़ा आरोप लगाया है. संजय सिंह ने कहा है कि राम मंदिर के निर्माण के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी (Ram Mandir Land Scam) की गई है. संजय सिंह ने सीधे-सीधे कहा है कि लाखों लोगों ने करोड़ों रुपए का मंदिर के नाम पर चन्दा दिया और उसमें घोटाला किया गया है. आप सांसद संजय सिंह के आरोपों का समाजवादी पार्टी में मंत्री रहे तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे (Pawan Pandey) ने समर्थन किया है. जिसके बाद राम मंदिर को लेकर राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है.
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AAP सांसद ने घोटाले का आरोप लगाया
संजय सिंह ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि ट्रस्ट के सचिव चंपत राय (Champat Rai) ने, जो जमीन कुछ समय पहले सिर्फ दो करोड़ रुपये में बिकी थी, उसी जमीन को कुछ वक्त बाद 18.5 करोड़ रुपये में खरीद कर बड़ा घपला किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सीधे-सीधे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है. उन्होंने मांग की है कि सरकार इसकी CBI और ED से जांच कराए. आरोपों के मुताबिक पहले जमीन की कीमत 2 करोड़ थी लेकिन महज 10 मिनट में ही डील पक्की हुई और जमीन की कीमत साढ़े 18 करोड़ हो गई.
सपा नेता ने भी आरोपों का समर्थन किया
10 मिनट के अंतराल में जमीन की कीमत साढ़े 16 करोड़ बढ़ गई. यानी प्रति सेकेंड साढ़े 5 लाख रुपये महंगी होती गई जमीन और 10 मिनटों में कीमत में 9 गुना इजाफा हो गया. आप नेता संजय सिंह के अलावा सपा नेता पवन पांडे ने आरोप लगाया कि एग्रीमेंट और बैनामा दोनों में ही ट्रस्टी अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेष उपाध्याय गवाह हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि 18 मार्च 2021 को ही करीब 10 मिनट पहले बैनामा भी हुआ और फिर एग्रीमेंट भी, जिस जमीन को दो करोड़ में खरीदा गया उसी जमीन का 10 मिनट बाद साढ़े 18 करोड़ में एग्रीमेंट हुआ.
पूरे विवाद में 3 किरदार हैं अहम
इस पूरे विवाद में 3 अहम किरदार हैं. पहला किरदार है- कुसुम पाठक, दूसरा- रवि मोहन तिवारी और तीसरा- सुल्तान अंसारी. जमीन का मालिकाना हक कुसुम पाठक का था, जिन्होंने 2010-11 में ही जमीन का समझौता रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से कर लिया. कुसुम पाठक ने 18 मार्च को ये जमीन रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को 2 करोड़ में बेंच दी. 18 मार्च को ही रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने 2 करोड़ वाली वो जमीन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को साढ़े 18 करोड़ में बेंच दी.
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आप प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी ट्रस्ट में जमीन खरीदने के लिए बाकायदा बोर्ड का प्रस्ताव होता है. आखिर पांच मिनट में ही कैसे राम मंदिर ट्रस्ट ने यह प्रस्ताव पारित कर लिया और फौरन जमीन खरीद ली. वहीं सपा नेता ने कहा कि एग्रीमेंट और बैनामा दोनों में ही ट्रस्टी अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेष उपाध्याय गवाह हैं.
चंपत राय ने अपनी प्रतिक्रिया दी
चंपत राय ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह इस तरह के आरोपों से नहीं डरते. वह खुद पर लगे आरोपों का अध्ययन करेंगे. मीडिया को जारी एक संक्षिप्त बयान में राय ने कहा कि 'हम पर तो महात्मा गांधी की हत्या करने का आरोप भी लगाया गया था. हम आरोपों से नहीं घबराते. मैं इन आरोपों का अध्ययन और उनकी जांच करूंगा.'
मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने क्या कहा
जमीन की डील में गवाह रहे अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय कर रहे हैं कि तमाम आरोप सियासी साजिश का हिस्सा हैं. ऋषिकेश उपाध्याय ने आजतक से बात करते हुए कहा कि राम मंदिर ट्रस्ट ने बयान जारी कर साफ कर दिया है कि वो भूमि वर्षों पुराने अनुबंध पर थी, उसी के अनुसार उसे अपने नाम कराया गया है. मैं मेयर के नाते सभी विषयों में गवाह हूं. उन्होंने कहा कि जो पैसा ट्रांसफर हुआ है, वह उसके गवाह रहे हैं. 10 मिनट में कीमत कैसे बढ़ी, इसपर मेयर ने सफाई दी कि वह अनुबंध वर्षों पुराना है, जिसे लोग कुछ मिनट बताया जा रहा है. जो लोग मुद्दा उठा रहे हैं, वो राजनीतिक लोग हैं. जिनको भगवान राम से दिक्कत है, वो लोग ये मुद्दा उठा रहे हैं.
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