यमुना किनारे सैकड़ों पेड़ काटे जाने के बाद सोशल मीडिया पर बवाल
शनिवार को पेड़ों को काटा गया और सोशल मीडिया पर हंगामे और हरित कार्यकतार्ओं की शिकायत के बाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की. पर्यावरणविद् देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र है.
highlights
- पेड़ों को काटने से विवादास्पद ताज कॉरिडोर पर नए विकसित ग्रीन स्केच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा
- हंगामे के कारण चट्टा पुलिस में प्राथमिकी दर्ज की गई
- थाने में नगर निगम के चार लोगों का नाम है, लेकिन नुकसान तो हो चुका है
आगरा:
आगरा के स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन के कर्मचारियों द्वारा पानी की पाइप लाइन डालने के लिए ताजमहल के पास यमुना नदी के किनारे सैकड़ों पेड़ काट दिए गए हैं. शनिवार को पेड़ों को काटा गया और सोशल मीडिया पर हंगामे और हरित कार्यकतार्ओं की शिकायत के बाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की. पर्यावरणविद् देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र है. पेड़ों को काटने से विवादास्पद ताज कॉरिडोर पर नए विकसित ग्रीन स्केच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. रिवर कनेक्ट कैंपेन के पंडित जुगल किशोर ने बताया, ''जैसे ही हमें इसके बारे में पता चला हमने तुरंत सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट कीं और सरकारी एजेंसियों द्वारा की गई लापरवाही को उजागर किया. हंगामे के कारण चट्टा पुलिस में प्राथमिकी दर्ज की गई. थाने में नगर निगम के चार लोगों का नाम है, लेकिन नुकसान तो हो चुका है.''
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आगरा वाटर वर्क्स, जियोनी मंडी से ताजगंज और अन्य दूर के इलाकों में गंगा जल की आपूर्ति के लिए नई 1200 मिमी पाइपलाइन बिछाई जा रही है. लगभग दो तिहाई पाइपलाइन यमुना किनारा रोड पर बिछाई जा चुकी है, जबकि एक तिहाई नदी किनारे पर बिछाई जा रही है,जहां कई सारे पेड़ थे. आगरा नगर आयुक्त और अन्य अधिकारियों ने शनिवार की देर शाम ग्रीन कवर को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए साइट का दौरा किया. राज्य वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि आसपास की हरियाली को नष्ट करने वाले ठेकेदारों और अन्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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दो विश्व धरोहर स्मारकों, आगरा किला और ताजमहल के बीच के इस क्षेत्र को प्रदूषकों को अवशोषित करने और सूखी यमुना की रेत से स्मारकों को बचाने के लिए हरित बफर के रूप में विकसित किया जा रहा था. रिवर कनेक्ट प्रचारक राहुल राज, दीपक राजपूत, रंजन शर्मा ने हरित आवरण की तत्काल बहाली और पेड़ों को नष्ट करने में शामिल सभी लोगों को सजा देने की मांग की है. विवादास्पद ताज कॉरिडोर ने 2003 में उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार को गिरा दिया था. एक दशक से अधिक समय तक नदी के तल का यह 20 हेक्टेयर खंड एक विशाल 'बंजर भूमि' बना रहा, लेकिन पिछले दो वर्षों से राज्य के वन और बागवानी विभागों ने इसे हरे भरे क्षेत्र में बदलने के लिए कड़ी मेहनत की है, जो आंखों को भाता है. कोविड19 महामारी से पहले बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटकों ने इस क्षेत्र का दौरा किया था.
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