UP चुनाव में औवेसी ने यूं बिगाड़ा अखिलेश का खेल, BJP को इन सीटों पर दिलाई जीत
एक तरह से भले ही ओवैसी की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वह मुस्लिम वोटों को सात सीटों तक बांटने में सफल रही.
highlights
- ओवैसी की पार्टी को 4.51 लाख यानी 0.49 फीसदी वोट हासिल करने में सफल रही
- आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट के अलावा सभी सीटों पर जमानत जब्त
- AIMIM ने 95 में से 58 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को पीछे छोड़ा
लखनऊ:
AIMIM Ensured BJP : उत्तर प्रदेश चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी (asudin ovesi) के ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रदर्शन को बड़ी विफलता माना जा रहा है. ओवैसी की पार्टी देश के सबसे बड़े राज्य में 15.02 करोड़ मतदाताओं के साथ सिर्फ 4.51 लाख यानी 0.49 फीसदी वोट (Vote) हासिल करने में सफल रही. पार्टी ने 95 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन राज्य में एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही. आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट के अलावा पार्टी ने जिन सभी सीटों पर चुनाव लड़ा उन सभी सीटों पर एआईएमआईएम उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
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मुबारकपुर सीट से पार्टी ने दो बार के बसपा विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा था जो पिछले साल नवंबर में एआईएमआईएम में शामिल हुए थे. हालांकि, चुनावी आंकड़ों पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है कि अपने नुकसान में भी पार्टी ने कम से कम 7 सीटों पर समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के उम्मीदवारों की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया और कुछ अन्य सीटों पर अखिलेश के नेतृत्व वाली पार्टी की संभावनाओं को खत्म करने के करीब पहुंची.
7 सीटों पर मुस्लिम वोटों को बांटने में सफल
एक तरह से भले ही उसे एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वह मुस्लिम वोटों को सात सीटों तक बांटने में सफल रही. मिसाल के तौर पर, मुरादाबाद नगर सीट पर जहां बीजेपी उम्मीदवार रितेश कुमार गुप्ता ने 148,384 वोट हासिल किए और सपा के मोहम्मद यूसुफ अंसारी के खिलाफ 782 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की. एआईएमआईएम वकी रशीद को निर्वाचन क्षेत्र में 2,661 वोट मिले. भाजपा के गुप्ता के खिलाफ सभी प्रमुख विपक्षी उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से थे. अगर मुस्लिम वोटों का बंटवारा नहीं होता तो भाजपा के उम्मीदवार के लिए सीट जीतना लगभग असंभव होता. बसपा उम्मीदवार इरशाद हुसैन को 14,013 वोट मिले जबकि कांग्रेस के रिजवान कुरैशी को 5,351 वोट मिले.
AIMIM उम्मीदवार की वजह से बीजेपी को फायदा
बाराबंकी की कुर्सी विधानसभा सीट पर बीजेपी के मौजूदा विधायक शकेंद्र प्रताप वर्मा की जीत का अंतर सपा के राकेश कुमार वर्मा से महज 217 वोटों का था. अगर AIMIM के कुमैल अशरफ खान ने 8,541 ज्यादातर मुस्लिम और बीजेपी विरोधी वोट नहीं काटे होते तो कहानी कुछ और होती.
सहारनपुर की नकुर सीट से सपा के डॉ. धर्म सिंह सैनी भाजपा के मुकेश चौधरी से 315 मतों के अंतर से हार गए. यहां एआईएमआईएम के रिजवाना को 3,593 वोट मिले.
जौनपुर की शाहगंज सीट से सपा के शैलेंद्र यादव 719 मतों के अंतर से हार गए. यहां भी एआईएमआईएम उम्मीदवार नायब अहमद खान ने 8,128 वोट हासिल किए. कांग्रेस ने भी इस सीट से एक मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा था जिसे 1,529 वोट मिले थे.
नहीं तो कुछ और होती तस्वीर
सुल्तानपुर सदर सीट से एआईएमआईएम के मिर्जा अकरम बेग को 5,251 वोट मिले. सपा के अनूप सांडा पर भाजपा उम्मीदवार विनोद सिंह की जीत का अंतर 1,009 वोट था. भदोही की औराई आरक्षित सीट से बीजेपी के मौजूदा विधायक दीनांत भास्कर को 93,691 वोट मिले और उन्होंने सपा की अंजनी सरोज को 1,647 वोटों के मामूली अंतर से हराया. एआईएमआईएम उम्मीदवार तेधाई को यहां 2,190 वोट मिले. बिजनौर सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुची ने रालोद के नीरज चौधरी पर जीत का अंतर 1,445 वोटों का किया. यहां ओवैसी की पार्टी के मुनीर अहमद को 2,290 वोट मिले. कुछ अन्य सीटों पर एआईएमआईएम उम्मीदवारों ने सपा प्रत्याशियों को डरा दिया. एक मामला सुल्तानपुर की इसौली सीट का है जहां एआईएमआईएम उम्मीदवार को 3,308 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार के खिलाफ सपा उम्मीदवार की जीत का अंतर सिर्फ 269 वोट था. ओवैसी के उम्मीदवार के थोड़े बेहतर प्रदर्शन से यहां सपा उम्मीदवार का मौका खत्म हो जाता.
कई सीटों पर मामूली अंतर से जीते बीजेपी के उम्मीदवार
प्रतापगढ़ जिले की रानीगंज सीट से सपा प्रत्याशी राकेश कुमार वर्मा ने 2,649 मतों के अंतर से जीत हासिल की। हालांकि, एआईएमआईएम के अनिल कुमार को भी यहां 11,748 वोट मिले और यहां कोई भी बेहतर प्रदर्शन सपा के मुस्लिम वोटों की कीमत पर हो सकता था. बिजनौर की धामपुर सीट पर कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार ने सपा के बदलाव को बिगाड़ दिया. इस सीट से भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार राणा ने यहां सपा के नईम उल हसन के खिलाफ सबसे कम 203 मतों के अंतर से जीत दर्ज कर कीर्तिमान स्थापित किया. सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हुसैन अहमद को सिर्फ 790 वोट मिले लेकिन वह मुस्लिम वोटों को विभाजित करने में सफल रहे जिसके परिणामस्वरूप भाजपा की जीत हुई.
कांग्रेस की तुलना में AIMIM को नफा
औवेसी की पार्टी के लिए एक और उम्मीद की किरण यह थी कि उसने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा, उसमें कांग्रेस पार्टी की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया. जिन 95 सीटों पर दोनों पार्टियां चुनाव लड़ रही थीं, वहां एआईएमआईएम के उम्मीदवारों ने 58 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को पीछे छोड़ दिया. सिर्फ 36 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार ओवैसी के उम्मीदवारों से आगे रहे. कुल मिलाकर इन 95 सीटों पर कांग्रेस को 3,13,577 वोट मिले जबकि एआईएमआईएम को 4,50,929 वोट यानी 1,38,533 या कांग्रेस से 44 फीसदी ज्यादा वोट मिले. इसके अलावा, पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनावों से भी अपने प्रदर्शन में थोड़ा सुधार किया, जब उसने 0.24 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दो लाख से अधिक वोट हासिल किए थे. इस बार इसने अपना वोट शेयर बढ़ाकर 0.49 फीसदी कर लिया है. 1920 में स्थापित पार्टी ने हाल ही में अपने घरेलू आधार हैदराबाद के बाहर चुनावी कदम उठाना शुरू कर दिया है और उसे मिली-जुली सफलता मिली है. वर्ष 1920 में स्थापित पार्टी ने हाल ही में हैदराबाद के बाहर चुनावी कदम उठाना शुरू कर दिया है और उसे मिली-जुली सफलता मिली है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में उसने महाराष्ट्र की औरंगाबाद सीट जीती थी, जो हैदराबाद के बाहर इसकी पहली सीट थी. बाद में राज्य विधानसभा चुनावों में उसने दो सीटें बरकरार रखीं. जबकि वर्ष 2020 में उसने बिहार में 5 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की.
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