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Nithari Case: निठारी कांड में कोर्ट का बड़ा फैसला, सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की फांसी रद्द

Nithari Case: निठारी कांड में इलाहबाद उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला आया सामने. मामले को दोनों दोषियों को बरी करने के साथ ही फांसी की सजा भी की गई रद्द.

Nithari Case: निठारी कांड में इलाहबाद उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला आया सामने. मामले को दोनों दोषियों को बरी करने के साथ ही फांसी की सजा भी की गई रद्द.

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Dheeraj Sharma
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Nithari Case( Photo Credit : File)

Nithari Case: नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में अब तक का सबसे बड़ा अपडेट सामने आया है. दरअसल इस मामले में इलाहबाद कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. इस फैसले के तहत निठारी कांड के दोनों आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को सुनाई गई फांसी की सजा रद्द कर दी गई है. इलाहबाद कोर्ट ने गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट की ओर से सुनाई की फांसी की सजा के फैसले को पलट दिया है. अदालत ने फैसला सुनाया है कि दोनों ही आरोपियों को फांसी नहीं दी जाएगी. इतना ही नहीं उच्च अदालत ने इस मामले में दोनों आरोपियों को बरी भी कर दिया है. 

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इलाहबाद उच्च न्यायालय ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की 14 अर्जियों पर अपना फैसला सोमवार सुबह सुनाया. इसके तहत कोली को कुल 12 केस में दोषी करार दिया गया था, जिससे उसे बरी कर दिया गया है. वहीं मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में मिली सजा के खिलाफ भी याचिका दायर की गई थी, इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दोनों ही दोषियों को बरी करते हुए उनकी फांसी की सजा को रद्द कर दिया है. 

यह भी पढ़ें - PM Modi: पीएम मोदी 20 अक्टूबर को करेंगे RapidX ट्रेन का उद्घाटन, गाजियाबाद में होगा

क्यों इलाहबाद कोर्ट ने निठारी कांड के दोषियों को बरी किया?
इलाहबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सीधे तौर पर सबूत और गवाह ना मिलने या फिर इनके अभाव के आधार पर दोनों दोषियों सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को बरी किया है. इलाहबाद कोर्ट के इस फैसले के बाद गाजियाबाद की सीबीआई अदालत के फैसले को बड़ा झटका माना जा रहा है. 

आंकड़ों पर एक नजर
- 2006 में हुआ था निठारी कांड का खुलासा
- 134 कार्य दिवसों में इलाहबाद कोर्ट में सुनवाई हुई
- 15 सितंबर को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था
- 16 अक्टूबर सुबह 11 बजे जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और एसएचए रिजवी ने फैसला सुनाया

क्या था आरोपियों की दलील
आरोपियों ने इलाहबाद हाईकोर्ट में खुद पर लगे आरोपों के खिलाफ याचिका दायर की थी. इस याचिका में आरोपियों ने दलील दी थी कि इस घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है. केवल वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया जा रहा है. आरोपियों ने फांस की सजा को रद्द करने के साथ ही बरी किए जाने की भी अपील की थी. बता दें कि मनिंदर सिंह पंढेर पहले ही एक मामले में हाईकोर्ट से बरी हो चुका है. 

क्या था मामला?
मनिंदर सिंह पंढेर की नोएडा में एक कोठी थी, जिसका केयर टेकर सुरेंद्र कोली था. सुरेंद्र ने गरीब नाबालिग लड़कियों को नौकरी पर रखा और उनका यौन शोषण करने के बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर डाली और उनका कंकाल नाली में फेंक कर साक्ष्य मिटाने की कोशिश भी की थी. इस पूरे आपराधिक काम में मनिंदर सिंह पंढेर को भी शामिल बताया गया था. इसके बाद सीबीआई ने चार्जशीट भी दाखिल की और कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी.

Source : News Nation Bureau

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