बसपा अध्यक्ष मायावती (Photo Credit: फाइल फोटो)
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कई बीजेपी नेताओं के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगे के केस वापस लेने के लिए याचिका दी है. इसमें बीजेपी के तीन विधायक भी शामिल हैं. सितंबर 2013 में नगला मंदोर गांव में आयोजित महापंचायत में भड़काऊ भाषण देने का मामला इनके खिलाफ दर्ज हैं. इस बीच बहुजन समाज पार्टी ने बीजेपी नेताओं की तरह ही अन्य विपक्षी दलों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को भी वापस लेने की मांग की है.
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बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट किया, 'उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लोगों के ऊपर राजनैतिक द्वेष की भावना से दर्ज मुकदमे वापस होने के साथ ही, सभी विपक्षी पार्टियों के लोगों पर भी ऐसे दर्ज मुकदमे भी जरूर वापिस होने चाहिए.' उन्होंने कहा कि यह बहुजन समाज पार्टी की मांग है.
यू.पी. में बीजेपी के लोगों के ऊपर ’’राजनैतिक द्वेष’’ की भावना से दर्ज मुकदमे वापिस होने के साथ ही, सभी विपक्षी पार्टियो के लोगों पर भी ऐसे दर्ज मुकदमे भी जरूर वापिस होने चाहिए। बी.एस.पी की यह माँग।
— Mayawati (@Mayawati) December 25, 2020
दरअसल, मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े मामले में बीजेपी विधायकों पर दर्ज मुकदमा सरकार ने वापस लेने के लिए अर्जी दी है. कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम और कपिल देव के खिलाफ यह मुकदमे दर्ज हैं. इसमें हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची का भी नाम है. सरकार प्रशासन से भिड़ने और ऐहतियाती निर्देशों का पालन न करने का आरोप भी इन नेताओं पर है. सरकारी वकील राजीव शर्मा ने मुजफ्फरनगर की एडीजे कोर्ट में मुकदमा वापसी के लिए याचिका लगाई है.
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मुकदमा वापसी की अर्जी पर फिलहाल कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया है. याचिका पर अभी सुनवाई बाकी है. उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर में सचिन और गौरव की हत्या के बाद 7 सितंबर 2013 को नगला मंदोर गांव के इंटर कॉलेज में जाटों ने महापंचायत बुलाई गई थी. इस महापंचायत के बाद एफआईआर दर्ज हुई थी. तीनों नेताओं पर भड़काऊ भाषण, धारा 144 का उल्लंघन, आगजनी, तोड़फोड़ की धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई थी. मुजफ्फरनगर दंगों में करीब 65 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 40 हजार के ज्यादा लोग दंगों के कारण विस्थापित हुए थे.