देखिए! कैसे Meerut के Bhagyashree Hospital में बच्चे की आंख में चोट लगने पर Fevikwik से चिपकाया घाव

Meerut: जांच में अस्पताल संचालक को यह जानकारी मिली कि शिकायत वाली घटना दो दिन पहले रात लगभग 8:30 बजे की है जब बच्ची के पिता उसे चोट लगने के बाद अस्पताल लेकर आए थे.

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Yashodhan.Sharma
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Meerut: जांच में अस्पताल संचालक को यह जानकारी मिली कि शिकायत वाली घटना दो दिन पहले रात लगभग 8:30 बजे की है जब बच्ची के पिता उसे चोट लगने के बाद अस्पताल लेकर आए थे.

Meerut: वीडियो में दिखाई दे रहे व्यक्ति अपना परिचय देते हुए बताते हैं कि उनका नाम पंकज त्यागी है और वे भाग्यश्री अस्पताल का संचालन करते हैं. उनके अनुसार उन्हें हाल ही में यह जानकारी मिली कि किसी व्यक्ति ने सीओ कार्यालय में उनके अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में कहा गया कि एक छोटी बच्ची, जिसकी भौंह पर चोट लगी थी, उसका उचित उपचार जैसे टांके या स्टिचिंग करने के बजाय अस्पताल में फेविकोल या किसी चिपकाने वाली चीज़ का उपयोग किया गया.

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अखबार के माध्यम से पता लगा मामला

पंकज त्यागी बताते हैं कि इस पूरे मामले के बारे में उन्हें सीधे अस्पताल से नहीं, बल्कि अखबार के माध्यम से पता चला. इसके बाद उन्होंने खुद इस घटना की जांच करवाई. जांच में उन्हें यह जानकारी मिली कि शिकायत वाली घटना दो दिन पहले रात लगभग 8:30 बजे की है जब बच्ची के पिता उसे चोट लगने के बाद अस्पताल लेकर आए थे. बच्ची की भौंह पर हल्की चोट थी.

आखिर क्या हुआ था?

संचालक का दावा है कि बच्ची के पिता स्वयं यह कह रहे थे कि वे अपने बच्चे को टांके नहीं लगवाना चाहते. इसी आग्रह के चलते अस्पताल के स्टाफ ने सामान्य प्राथमिक उपचार किया. उनके अनुसार स्टाफ ने घाव को साफ करके नियोजस्पोरिन या अन्य मेडिकेटेड दवाइयों का उपयोग किया, घाव को ठीक से सील किया तथा ऊपर से टेप लगाकर उसे सुरक्षित किया. यह एक सामान्य प्राथमिक उपचार था और इसमें किसी गलत सामग्री का उपयोग बिल्कुल नहीं किया गया.

नहीं लिया गया कोई शुल्क

पंकज त्यागी यह भी बताते हैं कि रात में आने वाले सड़क दुर्घटना के मरीजों से उनका अस्पताल कोई चार्ज नहीं लेता, और उस बच्ची के उपचार के लिए भी कोई शुल्क नहीं लिया गया. उनका कहना है कि यह समझ से परे है कि अचानक ऐसी शिकायत कैसे उठी और किसने शिकायतकर्ताओं को इस तरह की बातें कहने के लिए उकसाया.

आरोपों को बताया निराधार

संचालक पंकज ने आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया है. उनका कहना है कि वे लगभग 40 वर्षों से मेडिकल क्षेत्र में हैं और उन्होंने कभी भी ऐसा कोई अनुचित तरीका न देखा है और न अपनाया है. वे बच्चों को मरीज के बजाय अपने बच्चों की तरह समझकर उपचार करते हैं. उनका स्पष्ट कहना है कि अस्पताल अथवा उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप गलत हैं और वास्तविकता से बिल्कुल परे हैं.

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