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बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगाने संबंधी आदेश पर लखनऊ खंडपीठ ने निर्णय सुरक्षित रखा

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती पर रोक के मामले में सरकार की अपील को सुनवाई के लिये सोमवार को अनुमति दे दी.

Updated on: 08 Jun 2020, 08:00 PM

लखनऊ:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती पर रोक के मामले में सरकार की अपील को सुनवाई के लिये सोमवार को अनुमति दे दी किंतु इस मामले में एकल न्यायाधीश की पीठ के निर्णय पर रोक लगाने के सरकार के अनुरोध पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. इस मामले में सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील पर सोमवार को सुनवाई हुई.

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यह अपील नौ जून को सुनवाई के लिए सूचीबध्द थी लेकिन सरकार ने शीघ्रता की ओर ध्यान दिलाते हुए इस पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था. न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया. सुनवाई के समय अभ्यर्थियों में से एक रिषभ की ओर से अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने अपना जवाब दाखिल किया.

अदालत ने अन्य अभ्यर्थियों की ओर से पेश वकीलों एचजीएस परिहार, सुदीप सेठ और जेएन माथुर आदि को मंगलवार सुबह 10 बजे तक उनका जवाब लिखित में देने को कहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को एक विशेष याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश में 69 हजार बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रोके जाने के फैसले को चुनौती दी थी.

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न्यायमूर्ति पंकज जायसवाल और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से परीक्षा नियामक आयोग (ईआरए) द्वारा दाखिल की गई इस याचिका पर आगामी नौ जून को सुनवाई करने को कहा था.

ईआरए ने अपनी अपील में कहा कि प्रदेश में 69 हजार बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को रोकने संबंधी एकल पीठ का तीन जून का निर्णय ‘‘अवैध’’ है. न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने प्रदेश में 69 हजार बेसिक शिक्षकों की भर्ती संबंधी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. अदालत का कहना था कि परीक्षा के दौरान पूछे गए कुछ प्रश्न गलत थे.