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लखीमपुर कांड में आशीष मिश्रा समेत चारों आरोपियों की रिमांड 24 अक्टूबर तक बढ़ी

Lakhimpur Kheri case : लखीमपुर खीरी केस (Lakhimpur Kheri case) में एसआईटी (SIT) ने शुक्रवार को गिरफ्तार चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया है.

Updated on: 22 Oct 2021, 04:38 PM

नई दिल्ली:

Lakhimpur Kheri case : लखीमपुर खीरी केस (Lakhimpur Kheri case) में एसआईटी (SIT) ने शुक्रवार को गिरफ्तार चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया है. इस मामले में आगे की जांच के लिए एसआईटी की टीम ने चारों आरोपियों की रिमांड तीन दिन के लिए मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने सिर्फ दो दिन की ही रिमांड दी है. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा, अंकित, शेखर और लतीफ अब 24 अक्टूबर तक एसआईटी रिमांड में रहेंगे. चारों आरोपियों की रिमांड शुक्रवार शाम से शुरू होकर रविवार शाम तक जारी रहेगी. 

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बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि आशीष मिश्रा, अंकित दास, लतीफ और शेखर भारती की 2 दिन की कस्टडी रिमांड CJM कोर्ट लखीमपुर खीरी ने मंजूर कर दी है. ये रिमांड 22 अक्टूबर की शाम 5 बजे से 24 अक्टूबर की शाम 5 बजे के लिए मंजूर हुई है. बचाव पक्ष के वकील अवधेश सिंह ने कहा कि इस केस में आशीष मिश्रा के खिलाफ SIT के पास कोई सबूत नहीं है और सिर्फ परेशान करने के लिए SIT बार-बार रिमांड मांग रही है.

आपको बता दें कि तीन अक्टूबर को तीन वाहनों के काफिले ने चार किसानों और एक पत्रकार को कुचल दिया था, जिनमें से एक वाहन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का है. हत्या के आरोप में घटना से संबंधित प्राथमिकी में नामजद होने के पांच दिन बाद 9 अक्टूबर को मिश्रा के बेटे आशीष को गिरफ्तार किया गया था. इस घटना में मारे गए किसानों के परिवारों ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि आशीष उस लीड एसयूवी के अंदर था, जिसने किसानों को कुचल दिया था.

इस घटना को लेकर तीन अक्टूबर को तिकुनिया थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. बाद में सुमित जायसवाल की शिकायत के आधार पर उसी थाने में काउंटर एफआईआर दर्ज की गई, जिसे अब गिरफ्तार कर लिया गया है. सुमित जायसवाल ने यह भी दावा किया था कि प्रदर्शनकारियों ने आशीष मिश्रा के काफिले पर हमला किया. उन्होंने यह भी दावा किया कि कार नहीं चल रही थी और यह प्रदर्शनकारियों ने काफिले पर हमला किया था.

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उन्होंने कहा कि हम कार्यक्रम स्थल पर थे. डर का माहौल था. वे लाठियों और पत्थरों से लैस थे और वे हम पर हमला करते रहे, हमें गालियां देते रहे. उन्होंने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए और वे कार पर चढ़ गए. आशीष मिश्रा ने इस आरोप से भी इनकार किया है कि जब हत्याएं हुई थीं तो वह घटनास्थल पर थे. उन्होंने कहा कि वह लगभग दो किमी दूर अपने पैतृक गांव में थे और पूरे दिन वहीं रहे.