Kanpur court verdict on sindoor: कानपुर कोर्ट ने एक सुनवाई करते हुए कहा कि जो महिला मांग में सिंदूर नहीं लगाती हैं, उनका भावानात्मक रूप से पति के प्रति संबंध खत्म हो चुके हैं. आज के मॉर्डन समय में महिलाएं बिना सिंदूर के नजर आती हैं. यह एक फैशन भी हो चुका है. महिलाओं में पुराने रीति-रिवाज को मानने का चलन खत्म सा हो चुका है. इस बीच कानपुर कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया, जो चर्चा का विषय बना हुआ है.
सिंदूर नहीं लगाने पर कोर्ट ने सुनाया फैसला
दरअसल, तलाक केस को लेकर कोर्ट में पति-पत्नी पेश हुए थे. 56 वर्षीय पति ने अपनी 46 साल की पत्नी से तलाक की मांग की थी. पति सरकारी बैंक से वीआरेस ले चुके हैं. दिसंबर, 2008 में आर्य समाज में दोनों ने शादी रचाई थी. शादी के बाद पति-पत्नी के बीच सबकुछ ठीक था, लेकिन विवाहिता अपनी सास का ध्यान नहीं रखती थी और अकसर उन्हें घर से निकालने की बात कहती रहती थी. इसे लेकर दोनों पति-पत्नी के बीच झगड़ा होने लगा. आखिरकार पति ने तलाक लेने का मन बना लिया. 2014 में विवाहिता अपने मायके लौट गई और पति को झूठे केस में फंसाने की धमकी दे डाली.
यह भी पढ़ें- पत्नी ने बेटे को पैसे के लिए औजार की तरह किया इस्तेमाल, जब छलका अतुल का दर्द
तलाक की अर्जी हो गई मंजूर
इस बीच दोनों का मुकदमा पारिवारिक न्यायालय में चल रहा था. कोर्ट में अधिवक्ता ने यह भी सवाल उठाया कि विवाहिता अब अपने पति के नाम का सिंदूर भी नहीं लगाती है क्योंकि वह उसे पति मानती ही नहीं है. फिर इस रिश्ते का क्या मतलब है. सारे साक्ष्य और इस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने तलाक की अर्जी मंजूर कर ली.
जो महिला सिंदूर नहीं लगाती, वह...
आगे कोर्ट ने कहा कि अगर महिला अपनी शादी पर भरोसा करती है तो वह सिंदूर लगाती है. जो महिला सिंदूर नहीं लगाती है, इसका यह संकेत है कि वह भावनात्मक रूप से अपने पति से रिश्ता खत्म कर चुकी है. कोर्ट के इस फैसले की हर तरफ चर्चा हो रही है कि सिर्फ इस आधार पर तलाक की अर्जी मंजूर करना सही है कि महिला ने मांग में सिंदूर नहीं लगाया है.