कानपुर (Kanpur) के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तलाश में उत्तर प्रदेश पुलिस की 40 थानों की पुलिस लगी है तो स्पेशल टास्क फोर्स (STF) जगह-जगह दबिश दे रही है. बावजूद इसके छह दिन बाद विकास दूबे का कोई सुराग नहीं लगा है. इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कानपुर कांड को लेकर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है. इसके साथ ही उन्होंने मामले की जांच को लेकर भी सवाल उठाए हैं.
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि इस कांड की तथाकथित निष्पक्ष जांच भी उनसे करवाई जा रही है, जो खुद कठघरे में खड़े हैं. अखिलेश यादव ने आज ट्विटर पर लिखा, 'उत्तर प्रदेश सत्ता व अपराध के गठजोड़ के उस वीभत्स दौर में है, जहां न तो पुलिस को मारने वाले दुर्दांत अपराधी पर कोई कार्रवाई हुई है और न ही उस अधिकारी पर जिसकी संलिप्तता का प्रमाण चतुर्दिक उपलब्ध है. ऐसे में तथाकथित निष्पक्ष जांच भी उनसे करवाई जा रही है, जो खुद कठघरे में खड़े हैं.'
बता दें कि कानपुर कांड में विकास दुबे की गिरफ्तारी को पहुंची पुलिस टीम पर हमले में शहीद सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र के पत्र को लेकर जांच के घेरे में आए तत्कालीन एसएसपी और मौजूदा डीआईजी एसटीएफ अनंत देव तिवारी का मंगलवार रात योगी सरकार ने तबादला कर दिया. उन्हें एसटीएफ से हटाकर मुरादाबाद पीएसी भेज दिया गया.
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दरअसल, शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र का पत्र सोमवार को उनकी बेटी ने पुलिस को घर में रखी फाइल से दिया था. इसके बाद सोमवार को ही सीओ कार्यालय सील कर दिया गया था. इस मामले में तत्कालीन एसएसपी अनंतदेव तिवारी पर सवाल उठ रहे थे कि जब सीओ ने उन्हें पत्र लिखकर विकास दुबे और निलंबित थानेदार विनय तिवारी की साठगांठ की पोल खोली थी, तब उन्होंने दोनों पर कार्रवाई क्यों नहीं की. जिसके बाद से सीओ देवेंद्र मिश्र के पत्र को लेकर तत्कालीन एसएसपी और मौजूदा डीआईजी (एसटीएफ ) अनंतदेव तिवारी जांच के घेरे में आ गए हैं.
सोमवार को यह पत्र सीओ की बेटी ने घर में मिली फाइल से निकालकर दिखाया था. फिलहाल यह पत्र किसी रिकॉर्ड में नहीं है. शक है कि इसे गायब कर दिया गया है. इससे पहले सीओ देवेंद्र मिश्र के परिजनों ने भी अनंत देव पर सवाल खड़े किए थे. इसी के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे मामले के जांच के आदेश दिए थे.
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