हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई अंतरिम रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के फैसले के बाद अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि शासन के अगले आदेश तक पंचायत सामान्य निर्वाचन 2021 के लिए आरक्षण व आवंटन की प्रक्रिया को अंतिम रूप न दिया जाए.

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Shailendra Kumar
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Allahabad High Court

हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई अंतरिम रोक( Photo Credit : न्यूज नेशन )

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लगी राज्य सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने झटका दिया है. हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था को अंतिम रूप देने पर अंतरिम रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने आरक्षण एवं आवंटन कार्रवाई रोकी. सोमवार को सरकार जवाब दाखिल करेगी. अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने शासनादेश जारी किया. सभी डीएम को आदेश भेजा गया है. 17 मार्च को आरक्षण प्रकाशन होना था. 2015 के आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ. यह आदेश न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी एवं न्यायमूर्ति मनीष माथुर की पीठ ने अजय कुमार की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के फैसले के बाद अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि शासन के अगले आदेश तक पंचायत सामान्य निर्वाचन 2021 के लिए आरक्षण व आवंटन की प्रक्रिया को अंतिम रूप न दिया जाए. पंचायत चुनाव में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत के स्थानों और पदों का आरक्षण व आवंटन के लिए 11 फरवरी, 2021 को अधिसूचना जारी की गई, जिसके विरुद्घ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.

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हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था को अंतिम रूप देने पर अंतरिम रोक लगा दी है. कोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई पर रोक लगाने के साथ सोमवार यानी 15 मार्च को राज्य सरकार और चुनाव आयोग से जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी एवं न्यायमूर्ति मनीष माथुर की पीठ ने अजय कुमार की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. कोर्ट के इस आदेश के अनुपालन में अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार ने फिलहाल आरक्षण की अग्रिम प्रक्रिया रोकने का आदेश भी जारी कर दिया है.

पंचायत चुनावों में आरक्षण की रोटेशन व्यवस्था के लिए 1995 को आधार वर्ष माना जा रहा है

हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि जिला और क्षेत्र पंचायत चुनावों में आरक्षण की रोटेशन व्यवस्था के लिए 1995 को आधार (बेस) वर्ष माना जा रहा है और उसी आधार पर आरक्षण किया जा रहा है. जबकि, राज्य सरकार ने 16 सितंबर, 2015 को एक शासनादेश जारी कर बेस वर्ष 2015 कर दिया था और उसी आधार पर पिछले चुनाव में आरक्षण भी किया गया था. कहा गया कि राज्य सरकार को इस वर्ष भी 2015 को बेस वर्ष मानकर आरक्षण को रोटेट करने की प्रकिया करना था किंतु सरकार मनमाने तरीके से 1995 को बेस वर्ष मानकर आरक्षण प्रकिया पूरी कर रही है और 17 मार्च 2021 को आरक्षण सूची घोषित करने जा रही है.

 

HIGHLIGHTS

  • इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई अंतरिम रोक.
  • हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अंतिम रूप देने पर अंतरिम रोक लगा दी.
  • राज्य सरकार को इस वर्ष भी 2015 को बेस वर्ष मानकर आरक्षण को रोटेट करने की प्रकिया करना था.
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