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Mukti Bhavan ( Photo Credit : IANS)
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हालांकि वाराणसी में दो मुक्ति भवन और हैं पर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास और काशी विश्वनाथ धाम के अंदर पहली बार मुक्ति भवन बनकर तैयार हुआ है जिसका नाम वैद्यनाथ धाम रखा गया है.
Mukti Bhavan ( Photo Credit : IANS)
मोक्ष की नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ के धाम के अंदर मुक्ति की कामना लेकर आने वाले लोगों को मोक्ष की प्राप्ति हो पाएगी क्योंकि काशी विश्वनाथ धाम के अंदर हाईटेक मुक्ति भवन बनकर तैयार हो गया है जिसका नाम बैधनाथ धाम रखा गया है इस धाम में 40 लोग एक साथ रह पाएंगे और अपने जीवन के अंतिम दिनों में मुक्ति की कामना के साथ मौत का इंतजार करेंगे. मान्यता है कि भगवान शिव की नगरी काशी में शरीर त्यागने वाले को जन्म जन्मांतर के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और उसे मुक्ति प्राप्त होता है इसलिए पुरातन काल से आज तक लोग काशी में मौत की कामना को लेकर आते हैं ताकि उन्हें मोक्ष प्राप्त हो सके.
हालांकि वाराणसी में दो मुक्ति भवन और हैं पर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास और काशी विश्वनाथ धाम के अंदर पहली बार मुक्ति भवन बनकर तैयार हुआ है जिसका नाम वैद्यनाथ धाम रखा गया है. वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि यहां पर एक साथ 40 लोग रह पाएंगे जो अपने जीवन के अंतिम दिनों में मौत का इंतजार करेंगे ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके. फिलहाल वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम में वैद्यनाथ धाम बनकर तैयार हो गया है और यहां पर आने वालों की बुकिंग अभी से ही शुरू हो गई है. काशी विश्वनाथ धाम के अंदर तैयार हुए इस वैद्यनाथ धाम में मोक्ष के लिए जो लोग रहेंगे उनके लिए हर एक सुख सुविधा का भी ध्यान रखा गया है. यहां पर निशुल्क रूप से उनके रहने का हर एक इंतजाम है. सात्विक भोजन दिए जाने के अलावा सेवा करने के लिए नर्स के रूप में सेवादार रहेंगे जो उन्हें बिल्कुल अपने परिवार का एहसास कराएंगे. हालांकि जो लोग यहां रहेंगे उनके परिवार वालों को यहां पर रहने की अनुमति नहीं होगी पर वह समय-समय पर आकर उनसे मिल सकते हैं, पर जिनका चयन या रहने के लिए होगा उन्हें कुछ नियमों का भी पालन करना पड़ेगा. जैसे कि व्यक्ति के यहां रहने की जो उम्र की सीमा होगी वह 65 वर्ष से ऊपर होगी. साथ ही मेडिकल हिस्ट्री की भी जांच की जाएगी और कोई भी पारिवारिक कलह नहीं होना चाहिए. इन सभी की जांच के बाद उन्हें यहां रहने की अनुमति दी जाएगी.
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काशी विश्वनाथ मंदिर के अंदर मोक्ष भवन के संचालन की जिम्मेदारी राजस्थान के उदयपुर की तारा संस्था को दी गई है. इस संस्था के लोगों ने कार्यभार संभाल लिया है. इस संस्था के मैनेजर कोमुदी कांत आमेटा ने हमें बताया कि किस तरह से यहां पर 40 लोगों की रहने की व्यवस्था की गई है. हर एक बेड के साथ एक अलमारी, साथ ही उनके दवाओं के रखने के लिए अलग सेल्फ, उनके सामान रखने के लिए अलग अलमारी और उनके पूजा के सामान रखने की भी व्यवस्था की गई है. उनके खाने-पीने से लेकर हर एक चीज का प्रबंध किया गया है ताकि यहां पर उन्हें एक परिवार सा एहसास हो.