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ज्ञानवापी Photograph: (ANI)
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाना क्षेत्र के ASI सर्वे की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई हुई, जिसे अदालत ने 16 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया. अदालत को सूचित किया गया कि इस विषय से जुड़ा एक मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. इसके बाद न्यायालय ने अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित कर दी.
सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले का हवाला
जब याचिका पर सुनवाई शुरू हुई, तो हाईकोर्ट को बताया गया कि वजूखाना क्षेत्र के सर्वे से जुड़ा एक संबंधित मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है. अदालत ने यह मानते हुए कि दोनों मामलों में समान तथ्यात्मक स्थिति हो सकती है, सुनवाई को बाद की तिथि पर स्थगित कर दिया. कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हाईकोर्ट द्वारा यह कदम न्यायिक प्रक्रिया में समन्वय सुनिश्चित करने और परस्पर विरोधी आदेशों से बचने के उद्देश्य से उठाया गया है.
राकी सिंह की पुनरीक्षण याचिका
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं. याचिका दायर करने वाली राकी सिंह ज्ञानवापी मामले की वादीओं में से एक हैं. उन्होंने वाराणसी के एक सिविल जज द्वारा 21 अक्टूबर 2023 को पारित उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें वजूखाना क्षेत्र का ASI सर्वे कराने से इनकार कर दिया गया था.
वाराणसी अदालत के आदेश में कहा गया था कि वजूखाना क्षेत्र का सर्वे नहीं कराया जा सकता, सिवाय उस संरचना को छोड़कर जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग बताता है और मुस्लिम पक्ष फव्वारा कहता है. अदालत ने उस समय यह भी कहा था कि सर्वे का आदेश देने से विवाद और बढ़ सकता है तथा इससे संवेदनशील माहौल पर असर पड़ सकता है.
वजूखाना क्षेत्र के सर्वे की मांग क्यों महत्वपूर्ण?
राकी सिंह की पुनरीक्षण याचिका में कहा गया है कि वजूखाना क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वे न्यायहित में आवश्यक है. याचिका के अनुसार, ऐसा सर्वे न केवल पक्षकारों बल्कि अदालत दोनों के लिए लाभकारी होगा, क्योंकि इससे तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करने में मदद मिलेगी. याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि सर्वे से प्राप्त साक्ष्य अदालत को निर्णय लेने में सहायक होंगे और लंबे समय से चले आ रहे विवाद को सुलझाने में योगदान दे सकते हैं.
ज्ञानवापी विवाद क्या है?
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का विवाद कई वर्षों से न्यायालयों में लंबित है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के वजूखाना क्षेत्र में पाया गया ढांचा एक शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे केवल एक फव्वारा बताता है. इस विवाद ने कानूनी और धार्मिक दोनों स्तरों पर गहन बहस को जन्म दिया है.
ASI सर्वे की मांग इसी संदर्भ में उठी है, ताकि संरचना और परिसर के ऐतिहासिक स्वरूप को वैज्ञानिक रूप से समझा जा सके.
अगली सुनवाई कब है?
अब 16 जनवरी को होने वाली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि हाईकोर्ट वजूखाना क्षेत्र के सर्वे को लेकर क्या रुख अपनाता है. यदि अदालत ASI सर्वे की अनुमति देती है, तो यह मामले में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है. वहीं, यदि सुप्रीम कोर्ट इस बीच कोई दिशा-निर्देश जारी करता है, तो हाईकोर्ट की कार्यवाही पर उसका सीधा प्रभाव पड़ेगा.
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