Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को मिली बड़ी जीत, जानें क्या कहा कोर्ट ने

ज्ञानवापी मामले को लेकर हिंदू पक्ष को बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी/देवताओं की प्रतिमाओं को लेकर नियमित पूजा अर्चना के अधिकार की मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई लायक माना।

ज्ञानवापी मामले को लेकर हिंदू पक्ष को बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी/देवताओं की प्रतिमाओं को लेकर नियमित पूजा अर्चना के अधिकार की मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई लायक माना।

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Mohit Saxena
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Gyanvapi Case

Gyanvapi Case( Photo Credit : social media )

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी/देवताओं की प्रतिमाओं की नियमित पूजा अर्चना के अधिकार की मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई लायक माना है. वहीं अदालत ने मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट से अंजुमन इंतजामिया म​स्जिद कमेटी को बड़ा झटका लगा है.  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद रोजना पूजा करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई का रास्ता साफ हो चुका है.

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वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद से जुड़े श्रंगार गौरी केस से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया. कमेटी की ओर से जिला जज वाराणसी के फैसले को चुनौती दी गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज श्रृंगार गौरी के नियमित पूजा  की मांग वाली याचिका पर फैसला सुनाया.

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जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल बेंच ने ये फैसला सुनाया. बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 23  दिसंबर 2022 के निर्णय को सुरक्षित रखा था. श्रृंगार गौरी के मामले में राखी सिंह व 9 अन्य द्वारा वाराणसी की कोर्ट में सिविल वाद दाखिल किया गया था. इस केस में अपनी आपत्ति खारिज होने  के खिलाफ मस्जिद की इंतजामियां कमेटी ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी.

अर्जी में वाराणसी के जिला जज की अदालत से 12 सितंबर को आए फैसले को चुनौती दी गई है, अदालत में वाद दाखिल करने वाली 5 महिलाओं सहित दस लोगों को पक्षकार बनाया गया है. वाराणसी के जिला जज की अदालत ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल की गई आपत्ति को खारिज कर दिया था. मुस्लिम पक्ष ने दील दी कि 1991 के प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट और 1995 के सेंट्रल वक्फ एक्ट  तहत सिविल वाद पोषणीय नहीं है. जिला जज के इसी निर्णय को मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

 

HIGHLIGHTS

  • हाईकोर्ट से अंजुमन इंतजामिया म​स्जिद कमेटी को बड़ा झटका लगा
  • मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को पूरी तरह से खारिज कर दिया है
  • कमेटी की ओर से जिला जज वाराणसी के फैसले को चुनौती दी गई थी
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