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court order Photograph: (social)
Ghaziabad Crime News: दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद के मधुबन बापूधाम थाना क्षेत्र में तीन वर्ष पहले 14 वर्षीय किशोरी के साथ हुई दरिंदगी के मामले में बुधवार को कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने 46 वर्षीय अकबर को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई. साथ ही उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
ये है पूरा मामला
घटना 5 जुलाई 2022 की है. मधुबन बापूधाम क्षेत्र की रहने वाली किशोरी उस दिन घर पर अकेली थी. उसके पिता ड्यूटी पर गए थे और मां किसी काम से अलीगढ़ गई थीं. किशोरी अपनी मां की इजाजत लेकर अपने मंगेतर के साथ दुहाई के मंदिर में दर्शन करने गई थी.
शाम को लौटते समय मंगेतर ने उसे एमआर भवन के पास छोड़ दिया था. घर पहुंचने के कुछ देर बाद अकबर नाम का व्यक्ति आया और दरवाजा खटखटाया. जब किशोरी ने दरवाजा खोला तो वह घर में घुस गया. उसने मोबाइल पर किशोरी और उसके मंगेतर की वीडियो दिखाई और धमकाने लगा कि यह वीडियो वह मकान मालिक और माता-पिता को दिखा देगा.
इसके बाद अकबर ने किशोरी को जबरन कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया. पीड़िता बेहोश हो गई. जब उसे होश आया, तो आरोपी वहां से फरार था. किशोरी ने फोन कर अपनी मां को बुलाया और पूरी घटना बताई.
पुलिस जांच और गिरफ्तारी
मां ने 7 जुलाई 2022 को मधुबन बापूधाम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जिसमें अकबर पीड़िता का पीछा करता दिखाई दिया. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
यह मामला दो समुदायों से जुड़ा होने के कारण उस समय क्षेत्र में तनाव और आक्रोश फैल गया था. मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि हुई. पुलिस ने विवेचना पूरी कर अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया.
कोर्ट का फैसला
विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) नीरज गौतम की अदालत में बुधवार को सुनवाई हुई. अदालत ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट और स्कूल के कागजों के अनुसार घटना के समय किशोरी की उम्र 14 वर्ष 10 माह 18 दिन थी.
कोर्ट ने धारा-4 पॉक्सो अधिनियम के तहत अकबर को 20 वर्ष की सश्रम कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना न देने पर उसे 6 माह अतिरिक्त जेल में रहना होगा. इसके अलावा धारा 452 में 4 वर्ष और धारा 506 में 1 वर्ष की सजा भी दी गई है.
स्वजन ने बताई थी गलत उम्र
घटना के समय पीड़िता के परिवार वालों ने एफआईआर में उसकी उम्र 17 वर्ष लिखवाई थी. दरअसल, उन्होंने किशोरी की शादी तय कर दी थी और डर था कि कम उम्र की शादी की जानकारी मिलने पर उन पर कार्रवाई हो सकती है. जबकि दस्तावेजों के अनुसार उस समय किशोरी की वास्तविक उम्र 14 वर्ष थी. तीन साल बाद आए इस फैसले से पीड़िता और परिवार के लोग भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि उन्हें आखिरकार न्याय मिला.
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