गोरखपुर में बढ़ा बाढ़ का खतरा, जन जीवन हुआ अस्त-व्यस्त
गोरखपुर में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है. राप्ती और रोहिन नदियों ने खतरे के निशान को पार कर दिया है और एक मीटर ऊपर बह रही हैं . जिसकी वजह से इन नदियों के किनारे के 88 गाँव पूरी तरह से पानी से घिर चुके हैं.
highlights
- बच्चों को स्कूल तक पहुंचने में हो रही काफी परेशानी
- खुद नाव चलाकर स्कूल जाने को मजबूर हैं बच्चे
नई दिल्ली :
गोरखपुर में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है. राप्ती और रोहिन नदियों ने खतरे के निशान को पार कर दिया है और एक मीटर ऊपर बह रही हैं . जिसकी वजह से इन नदियों के किनारे के 88 गाँव पूरी तरह से पानी से घिर चुके हैं. सबसे अधिक कैंपियरगंज, सदर और सहजनवा तहसील के गांव प्रभावित हुए हैं. इन गांवों में जिला प्रशासन ने 69 नावों की व्यवस्था की है और लोग इन नावों के जरिए ही गांव के बाहर आ जा रहे हैं. गांव में लोगों के पशुओं के लिए चारे, दवा और राशन की व्यवस्था भी जिला प्रशासन ने पहुंचानी शुरू कर दी है. बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेने निकले गोरखपुर के एडीएम वित्त एवं राजस्व, राजेश कुमार सिंह ने ग्रामीणों से बात कर उनकी समस्याओं का हाल जाना और हर संभव मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया.
यह भी पढ़ें : पेट्रोल-डीजल के दिन खत्म, आज लॅान्च होगी पहली fuel flex car
एडीएम का कहना है कि राप्ती नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. इस वजह से प्रभावित गांवों की संख्या बढ़ रही है. इन ग्रामीणों को पहले ही गांव छोड़कर बाहर जाने के लिए कहा गया था. लेकिन जो लोग अभी भी गांव में रुके हुए हैं उन्हें इस बाढ़ से कोई दिक्कत ना हो इसके पर्याप्त इंतजाम किए जा रहे हैं. एडीएम वित्त और राजस्व राजेश कुमार सिंह से बात की. आपको बता दें कि गोरखपुर का बहरामपुर गांव इस समय बाढ़ के पानी से पूरी तरह से डूबा हुआ है. गांव के अधिकतर लोगों ने अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर ठिकाना बना लिया है. लेकिन अभी भी काफी संख्या में लोग गांव के अंदर रुके हुए हैं.
बच्चे खुद नाव चलाकर स्कूल जाने को मजबूर
लगातार हो रही बारिश और गांव के बाहर हर तरफ फैले बाढ़ के पानी के बीच भी यहां के बच्चों की पढ़ाई के प्रति जज्बा देखने को मिल रहा है. यहां के बच्चे शहर के स्कूल में पढ़ते हैं और इन्होंने अपने आप को बाढ़ और बारिश के लिए पूरी तरह से ढाल लिया है. यहां के बच्चे खुद नाव चला कर गांव से बाहर सड़क तक पहुंचते हैं और फिर स्कूल जाते हैं। इन बच्चों का कहना है कि इस इलाके में लगभग हर साल बाढ़ आती है और 1 से 2 महीने गांव पूरी तरह से पानी से घिरा रहता है. ऐसे में अगर यह घर बैठ जाए तो उनकी पढ़ाई रुक जाएगी। ऐसे में इन्होंने खुद ही नाव चलाना सीखा और गांव से बाहर इन डोंगियों को लेकर जाते हैं. कई बार इनकी डोंगिया बाढ़ के पानी में डगमगा जाती है और खतरा भी बढ़ जाता है लेकिन पढ़ाई का जुनून ऐसा है कि सारे खतरे कमतर नजर आते हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Chanakya Niti: चाणक्य नीति क्या है, ग्रंथ में लिखी ये बातें गांठ बांध लें, कभी नहीं होंगे परेशान
-
Budhwar Ganesh Puja: नौकरी में आ रही है परेशानी, तो बुधवार के दिन इस तरह करें गणेश जी की पूजा
-
Sapne Mein Golgappe Khana: क्या आप सपने में खा रहे थे गोलगप्पे, इसका मतलब जानकर हो जाएंगे हैरान
-
Budhwar Ke Upay: बुधवार के दिन जरूर करें लाल किताब के ये टोटके, हर बाधा होगी दूर