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cm yogi Photograph: (ani)
योगी सरकार प्रदेश में रोजगार के नए अवसर प्रदान कर रही है. इसके तहत नई योजनाओं के साथ कारखानों को खालने की तैयारी हो रही है. आपको बता दें अखिलेश यादव जब 2012 में सत्ता में थे तब उत्तर प्रदेश में 14,440 फैक्ट्रियां थीं. उन्होंने 2017 में जब सत्ता छोड़ी, तब राज्य में 15,294 फैक्ट्रियां हो गईं थीं. पांच वर्ष सत्ता में रहे के दौरान मात्र 854 फैक्ट्रियां ही बनीं. अगर इसको जिले वार ढंग से गिना जाए तो हर जिले में करीब 11 फैक्ट्रियों का औसत आता है. ⁠इसके उलट योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद राज्य में फैक्ट्रियों की संख्याओं में काफी तेजी देखने को मिली.
'भारत का ग्रोथ इंजन' बना दिया
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को लेकर अक्सर दो आंकड़ों की चर्चा होती है. 800 से 8000. ये केवल संख्याएं नहीं हैं, बल्कि प्रदेश के औद्योगिक मिजाज में आए उस 'स्ट्रक्चरल शिफ्ट' (ढांचागत बदलाव) की गवाही दे रहा है. इसने यूपी को 'बीमारू' राज्य की श्रेणी से निकाला है। इसे 'भारत का ग्रोथ इंजन' बना दिया है.
निवेश नहीं हो पा रहा था
अखिलेश यादव के 5 साल के कार्यकाल यानि 2012-17 के दौरान प्रदेश में करीब 800 बड़ी फैक्ट्रियों की स्थापना हुई है. उस समय में नीतिगत फोकस 'समाजवादी विकास' रहा था. इसमें आइटी सिटी और एक्सप्रेसवे की नींव तो रखी गई. इसके साथ जमीन पर 'इज ऑफ डूइंग बिजनेस' की कमी भी देखी गई थी. कानून-व्यवस्था की चुनौतियां और लालफीताशाही की वजह से निवेशक लखनऊ के सिर्फ चक्कर लगाते थे. मगर निवेश न के बराबर हो रहा था। 5 साल में 800 यूनिट्स का आना औसत रफ्तार थी. ये यूपी जैसी विशाल आबादी की जरूरतों के हिसाब से काफी कम था।
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