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यूपी के ई-रिक्शा अब फर्राटा भरेंगे यूगांडा और नेपाल की सड़कों पर

यूगांडा एवं नेपाल को ई-रिक्शा भेजने वाली कंपनी ने भी ईवी सिटी में अपनी फैक्ट्री लगाने में रूचि दिखाई है.

Updated on: 04 Sep 2021, 01:08 PM

highlights

  • नोएडा का सेक्टर-28 ईवी सिटी बतौर होगा विकसित
  • स्टेट जीएसटी में 10 साल तक 90 प्रतिशत की छूट
  • 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश और 50 हजार रोजगार

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के बने उत्पाद अब विदेशों में भी अपनी धाक जमाने लगे हैं. इसी कड़ी में यूपी की ईवी सिटी में बने ई-रिक्शा यूगांडा तथा नेपाल की सड़कों पर चलते हुए दिखेंगे. यूपी की इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति ने दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में ई-रिक्शा बना रहे कारोबारियों को लुभाया है, जिसके चलते उक्त राज्यों में ई-रिक्शा बनाकर उन्हें देश भर में बेचने वाले 50 बड़े कारोबारियों ने अब यहां पर अपनी फैक्ट्री लगाने का फैसला किया है. यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) ने इन कारोबारियों को सेक्टर-28 में 100 एकड़ भूमि मुहैया पर सहमति जता दी है. 

सेक्टर 28 होगा ईवी सिटी के रूप में 
सेक्टर-28 में इस भूमि को इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी (ईवी सिटी) के रूप में विकसित किया जाएगा. इस ईवी सिटी में जल्दी ही ई-रिक्शा बनाने वाली कंपनी तथा उनसे जुड़ी बैटरी एवं मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भूमि आवंटित की जाएगी, ताकि जल्द से जल्द यूपी पहली नियोजित ईवी सिटी में ई-रिक्शा का निर्माण शुरू हो. यूगांडा एवं नेपाल को ई-रिक्शा भेजने वाली कंपनी ने भी ईवी सिटी में अपनी फैक्ट्री लगाने में रूचि दिखाई है. फिलहाल इलेक्ट्रिक सिटी में ई-रिक्शा निर्माण से जुड़े 50 उद्यमी अपनी फैक्ट्री लगाने को तैयार हैं. इनमें यात्री, बाहुबली, सार्थी, एवन साइकिल, विक्ट्री, ठुकराल, सिटीलाइफ, मयूरी, उड़ान, गोयनका, सार्थक ब्रांड का ई रिक्शा बनाने वाले उद्यमी तथा बैटरी बनाने वाली कंपनी इस्टमैन एवं ट्रोटेक और मैन्युफैक्चरिंग कारोबार से जुड़ी कंपनी टीएनआर, सीवाई गोल्ड एवं नान्या से यमुना प्राधिकरण ने संगठन से जुड़े उद्यमियों से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी है.

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यूगांडा और नेपाल की सड़कों पर चला रहा बाहुबली
बाहुबली कंपनी का ई-रिक्शा यूगांडा और नेपाल की सड़कों पर चलाया जा रहा है. यह कंपनी ने सबसे ज्यादा जमीन मांग रही है ताकि बड़ी कंपनियों की तरह पूरा ई -रिक्शा एक ही प्लेटफॉर्म की नीचे तैयार किया जा सके. जल्दी ही यह कंपनियां अपनी फैक्ट्री से संबंधित प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्राधिकरण को सौंप देगी. इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी में उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को 50 प्रतिशत ब्याज में छूट 7 साल तक मिलेगी. खास बात यह है कि यह पैसा सरकार वहन करेगी. इसके अलावा रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर 5 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी. इलेक्ट्रिक ड्यूटी 10 साल के लिए माफ होगी. स्टेट जीएसटी में 10 साल तक 90 प्रतिशत की छूट मिलेगी. 200 कर्मचारियों तक पीएफ में सरकार सहयोग करेगी. स्टांप शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी. बाहुबली ई-रिक्शा बनाने वाले बीएस जय भगवान ने बताया कि सरकार जेवर एयरपोर्ट के पास एक व्हीकल पार्क बना रहे, जिसमें एक छत के नीचे सारी सुविधाएं होंगी. यह पार्क सेक्टर 28 में 100 एकड़ जगह सरकार दे रही है. सरकार के साथ मिलकर काम होगा. इसमें बॉडी, टायर से लेकर हर चीज बनेगी. इस सिलसिले में हमारी यीडा के साथ दो मीटिंग हो चुकी पूरी तैयारी चल रही है.

होगा 40 हजार करोड़ का निवेश
अधिकारियों के अनुसार सूबे की इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति के प्रभावी होने से प्रदेश में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश और 50 हजार रोजगार की उम्मीद है. इस नीति के तहत सरकार इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए तीन क्षेत्रों में काम कर रही है. जमीन को छोड़कर 25 प्रतिशत या छह लाख रुपये का अनुदान मिलेगा. दो पहिया वाहनों पर दस हजार, तिपहिया पर 20 हजार और बड़े वाहनों पर 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा. रजिस्ट्रेशन भी निशुल्क होगा और रोड टैक्स में 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी. गौरतलब है कि देश में ई-रिक्शा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. अभी करीब 20 लाख ई-रिक्शा देश की सड़कों पर हैं. वर्ष 2015 से ई-रिक्शा की बिक्री सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ रही है. इस बिक्री में ज्यादातर हिस्सेदारी छोटी कंपनियों की है. 

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बड़ी कंपनियां भी ई-रिक्शा बाजार में
गौरतलब है कि काइनेटिक, हीरो इलेक्ट्रिक और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी बड़ी ऑटो कंपनियां भी तेजी से बढ़ रहे ई-रिक्शा बाजार में दाखिल हुई हैं. इसके अलावा एमएसएमई सेक्टर में कार्यरत चार दर्जन से अधिक ई रिक्शा बनाने की कंपनियां है, ये कंपनियां हर महीने देश में करीब 15 हजार ई-रिक्शा बनाती हैं. यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के सीईओ अरूण वीर सिंह ने बताया कि 2019 में आयी इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति के तहत ई रिक्षा बौर बैट्री चलत वाहन को बढ़ावा दे रहे हैं. इसी सिलसिले में इनके लिए भूमि चिन्हित की गयी है. यहां उद्योग लगेंगे और रोजगार बढ़ेंगे.